कच्ची सराय रोड स्थित प्रसिद्ध मां पीतांबरी बगलामुखी सिद्धपीठ मुजफ्फरपुर ही नहीं, सुदूर क्षेत्रों के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां सालों भर भक्तों का तां’ता लगा रहता है। मंदिर में स्थापित माता की अष्टधातु की प्रतिमा के दर्शन के लिए दू’र-दू’र से लोग आते हैं। माता को हल्दी व दूब से पूजा करने पर वे खुश होती हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है।कच्ची सराय रोड स्थित प्रसिद्ध मां पीतांबरी बगलामुखी सिद्धपीठ मुजफ्फरपुर ही नहीं, सुदूर क्षेत्रों के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां सालों भर भक्तों का तां’ता लगा रहता है। मंदिर में स्थापित माता की अष्टधातु की प्रतिमा के दर्शन के लिए दू’र-दू’र से लोग आते हैं। माता को हल्दी व दूब से पूजा करने पर वे खुश होती हैं।
मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है।स्टेशन पहुंचने के बाद वहां से सीधे पूरब की ओर पुरानी धर्मशाला चौक, मोतीझील, कल्याणी चौक, छोटी कल्याणी व अमर सिनेमा रोड होते हुए हाथी चौक आना है। वहां से बाएं मुड़कर चंद कदम आगे बढ़ना है। चौक से करीब सौ मीटर की दूरी पर दाहिने तरफ माता का मंदिर है।बताते हैं कि मंदिर की स्थापना करीब 285 वर्ष पूर्व महंत अजीत कुमार के परदादा रुपल प्रसाद ने मंदिर की स्थापना की थी।
मंदिर के वर्तमान स्वरूप की नींव श्री कुमार ने 1993-94 के बीच रखी। ये इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करते थे।बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वे लौट आए। मां से तंत्र साधना सीखने के बाद वाम मार्ग व दक्षिण मार्ग से मंदिर में तांत्रिक चेतना जागृत की। कालांतर में वर्ष 2004 में मां त्रिपुर सुंदरी व मां तारा की मूर्ति और वर्ष 2006 में भैरव बाबा की मूर्ति स्थापित की गई।
Leave a Reply