हिन्दूओं के त्योहार दिवाली से एक दिन पहले रूप चौदस यानि छोटी दिवाली को बड़े ही धू’मधाम से मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति मृ’त्यु के देवता यमराज पूजा करता है उसको जीवन की सभी प’रेशानियों से मु’क्ति मिल जाती है। रूप चौदस पर यमराज के लिए दीप भी जलाए जाते है।एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का व’ध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बं’दी गृह से मु’क्त कराया था तब से इस दिन को न’रक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।
वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार जब रंती देव नामक राजा के मृ’त्यु का समय समीप आया तो यमदूत आ ख’ड़े हुए। यमदूत को देखकर राजा बोले मैंने तो अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया। ऐसे में फिर स्वर्ग की जगह न’र्क क्यों चलने के लिए कहा जा रहा है। तब यमदूत ने कहा कि एक बार आपने दरवाजें पर भूखे ब्राह्राण को खाली हाथ लौटा दिया था यह उसी पाप का नतीजा है। इसके बाद राजा ने अपने पा’पों का प्राश्यचित करने के लिए यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा और फिर ऋषियों से इस पा’प को दूर करने का उपाय पूछा। उनको आज के दिन का व्रत कर ब्राह्मणों को भोजन कराने को कहा गया। ऐसा करने के बाद राजा को विष्णु लोक में स्थान मिला. इस दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और शाम के समय दीप दान करने से अकाल मृ’त्यु का भ’य नहीं रहता है।
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