भगवान विष्णु तीन देवों में से एक हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार जहां ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। वहीं शंकर जी को इस सृष्टि का संहारक माना गया। जबकि भगवान विष्णु इस जगत के पालनहार हैं। विष्णु जी की अर्धांग्नि माता लक्ष्मी हैं। वे क्षीर सागर में वासुकि नाग की कुंडली में विराजते हैं।विष्णु पुराण के अनुसार, क्षीर सागर में वासुकि नाग पर विराजमान भगवान विष्णु जी की चार भुजाएं। उनके एक हाथ में शंख, दूसरे में सुदर्शन चक्र, तीसरे में गदा और चौथी भुजा में पद्म है। भगवान विष्णु जी ने अपनी भुजाओं में जो भी चीजें धारण की हैं उनका अपना महत्व है, जो इस प्रकार हैं….
सुदर्शन चक्र का महत्व
सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु जी का शस्त्र है। इसे उनका अमोघ अस्त्र भी कहते हैं। सुदर्शन चक्र इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को लक्ष्योन्मुख होना चाहिए। उसे दृढ़-निश्चय रहते हुए अपने लक्ष्य को भे’दने की शक्ति होनी चाहिए। यह दूरदर्शिता का भी प्रतीक है।
शंख का महत्व
शंख की ध्वनि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का प्रतीक है। शंख से निकलने वाली ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से शंख से निकलने वाली ध्वनि ॐ की ध्वनि के समान होती हैं। यह ध्वनि हमारी अंतर्आ’त्मा और चेतना को जागृत करती है।
गदा का महत्व
भगवान विष्णु के हाथों में गदा बल और शक्ति का प्रतीक है। यह दुष्टों के लिए भय का कार्य करता है जबकि सज्जनों के लिए यह रक्षा का प्रतीक है। यह ईश्वर की न्याय प्रणाली को दर्शाता है।
पद्म का महत्व
यहां पद्म का आशय कमल के फूल से है। यह पुष्प एकाग्रता और सत्यता का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार कमल का फूल कीचड़ में रहकर भी अपने को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखता है, ठीक वैसे ही लोगों को भी इस संसार रूपी माया में रहते हुए स्वयं को निष्पापी बनाए रखना चाहिए।
Leave a Reply