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पारे से बने शिवलिंग का है विशेष महत्व, इसके स्पर्श मात्र से मिलता है हर क’ष्टों से निवारण ‘ॐ नमः शिवाय’

पूजा-पाठ में पत्थर के अलावा अलग-अलग धातुओं के शिवलिंग भी रखे जाते हैं। सभी धातुओं के शिवलिंग की पूजा का महत्व अलग-अलग होता है। घर में रखने के लिए कई धातुओं के शिवलिंग बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार किसी भी धातु का छोटा सा शिवलिंग ही घर में रखना चाहिए। धातुओं में पारद यानी पारा तरल अवस्था में रहता है, इसका भी शिवलिंग बनता है। इस शिवलिंग की पूजा से भक्त की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। पारद शिवलिंग घर में रखने से वास्तु दो’ष दूर होते हैं। जानिए पारे से बने शिवलिंग की कुछ खास बातें…

  • कैसे बनता है पारद शिवलिंग

पारद शिवलिंग बनाना बहुत मु’श्किल काम है। सबसे पहले पारे को साफ किया जाता है। इसके बाद कई औषधियां मिलाकर तरल पारे का बंध’न किया जाता है यानी ठोस किया जाता है। इस पूरी क्रिया में करीब 6 महीने लगते हैं, इसके बाद पारद शिवलिंग बनकर तैयार होता है।
शिवपुराण में लिखा है कि-
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्। तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च। तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।। स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।


शिवपुराण के इस श्लोक के अनुसार करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पा’पों से मु’क्ति मिल सकती है।

  • घर में कितना बड़ा शिवलिंग रखना चाहिए

पं. शर्मा के अनुसार घर में हाथ के अंगूठे के पहले भाग से बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। जहां शिवलिंग रखा हो, वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रोज सुबह-शाम शिवलिंग के पास दीपक जलाएं। भोग लगाएं। घर में क्लेश न करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें।

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