बिहार के शहरों में वायु प्रदू’षण (Air Pol’lution) की स्थिति बेहद खराब दिख रही है। मंगलवार को लगातार दूसरे दिन पटना की हवा देश में सबसे खराब रही। मुजफ्फरपुर में भी वायु प्र’दूषण का स्तर लगातार दूसरे दिन देश में नंबर टू पर रहा। हवा में नमी और कोहरे के कारण पीएम 2.5 (PM 2.5) का स्तर बढ़ गया। उधर, पटना की तुलना में दिल्ली और आसपास के शहरों की हवा में प्र’दूषण का स्तर घटा।पटना की बात करें तो बुधवार को भी स्थि’ति में सुधार नहीं दिख रहा। बिहार राज्य प्रदू”षण नियंत्रण पर्षद की रिपोर्ट के अनुसार पटना की वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) अत्यधिक “खराब होने का बड़ा कारण गंगा (Ganges) की धारा का शहर से दूर होना है।
मंगलवार को लगातार दूसरे दिन पटना (Patna) की हवा देश में सबसे खराब रिकॉ’र्ड की गई है। केंद्रीय प्रदू’षण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मंगलवार को जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में पटना में पीएम 2.5 का स्तर 416 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया। मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) 405 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ देश में दूसरे स्थान पर रहा।बिहार राज्य प्रदू’षण नियंत्रण पर्षद की रिपोर्ट के अनुसार पटना की वायु गुणवत्ता अत्यधिक खराब होने का बड़ा कारण गंगा की धारा का शहर से दूर होना है। दीघा से काली घाट तक शहर के किनारे चार किलोमीटर तक बालू ही बालू निकल आया है। हिमालय (Himalaya) से आने वाली हवा गंगा के बालू को साथ लेकर शहर की ओर आती है। इसका कोई उपाय नहीं निकल सका है।
पटना शहरी क्षेत्र में बालू खनन (Sand Mining) तो जरूर बंद हुआ है, लेकिन इसका खुले में परिवहन (Transportation) जारी है।इसके अलावा राजधानी की सड़कों पर वाहनों का अत्यधिक दबाव भी प्रदूषण का बड़ा कारण है। पुरानी गाडिय़ों (Old Vehicles) का परिचालन वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रेत पर हरित पट्टी (Green Zone) की योजना तैयार की है। हरित पट्टी के लिए 117 तरह के पेड़-पौधे लगाने का प्रस्ताव है। जलवायु परिवर्तन (Climatic Change) को ध्यान में रखते हुए ऐसे पेड़-पौधे लगाने का प्रस्ताव, जिसकी उंचाई तीन से 20 मीटर तक हो सकती है। यह योजना भी पैसे के अभाव में अटकी हुई है।केंद्रीय प्र’दूषण नियंत्रण बोर्ड हवा में पीएम 2.5 का स्तर 60 से 90 माइक्रोग्राम तक सामान्य श्रेणी मानता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के अनुसार, पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। बीते एक साल के दौरान एक दिन भी पटना और मुजफ्फरपुर की हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक स्तर पर दर्ज नहीं की जा सकी है।
1. शहर के उत्तरी हिस्से में औसत तीन किलोमीटर तक गंगा के किनारे की रेत
2. शहरी क्षेत्र में निर्माण एवं विध्वंस कार्यस्थल पर पानी का छिड़काव नहीं
3. राजधानी की सड़कों पर वाहनों का अत्यधिक दबाव, ट्रैफिक जाम (Trafic jam)की स’मस्या
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