हिन्दू धर्म में शनिवार भगवान शनिदेव का दिन माना जाता हैं। नव ग्रहों में सातवें ग्रह माने जाने वाले शनिदेव से लोग सबसे ज्यादा ड’रते जरूर हैं लेकिन वह किसी का बु’रा नहीं करते हैं। वह लोगों के कर्मों के हिसाब से उनके साथ न्याय करते हैं। शनि को यम, काल, दु’:ख, दा’रिद्रय तथा मं’द कहा जाता है। शायद इसलिए उन्हें न्यायाधीश के रूप में भी पहचाना जाता है। शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति पर से साढ़ेसाती और ढैया समाप्त हो जाती है। इसके अलावा कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्र’भाव भी ख’त्म हो जाता है।
शनि देव पूजा:
-शनिवार के दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि कर शुद्ध हों। शुद्ध स्नान करके पुरुष पूजा कर सकते हैं।
– महिला शनि चबूतरे पर नहीं जाएं। मंदिर हो तो स्पर्श न करें।
-अगर आपकी राशि में शनि आ रहा है तो शनि को अवश्य पूजें।
-अगर आप साढ़ेसाती से ग्रस्त हो तो शनिदेव का पूजन करें।
-यदि आपकी राशि का अढैया चल रहा हो तो भी शनि देव की आराधना करें।
-यदि आप शनि दृष्टि से त्र’स्त एवं पी’ड़ित हो तो शनिदेव की अर्चना करें।
– यदि आप कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पेट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित हो तो आपको शनिदेव मनाना चाहिए।
-यदि आप कोई भी अच्छा कार्य करते हो तो शनि देव की कृपा के लिए प्रार्थना करें।
-यदि आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार है और उसमें क्ष”ति, घा’टा, परे’शानियां आ रही हों तो शनि की पूजा करें।
-अगर आप असाध्य रो’ग कैं’सर, ए’ड्स, कु’ष्ठरो’ग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरो’ग, मधुमेह, खाज-खु’जली जैसे त्वचा रो’ग से त्र’स्त तथा पी’ड़ित हो तो आप श्री शनिदेव का पूजन-अभिषेक अवश्य कीजिए।
– सिर से टोपी आदि निकालकर ही दर्शन करें।
-जिस भक्त के घर में प्रसूति सूतक या रजोदर्शन हो, वह दर्शन नहीं करता।
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