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मुजफ्फरपुर पहुंची सीबीआई की टीम:7 साल की खुशी के माता -पिता से बातचीत की, 25 महीने से गायब है बच्ची

25 महीने पहले शहर के लक्ष्मी चौक से उठा ली गई 7 साल की मासूम खुशी का सुराग देने वाले व्यक्ति को सीबीआई 5 लाख का इनाम देने का ऐलान कर चुकी है। वहीं, शुक्रवार को बच्ची के परिजनों से मिलने के लिए सीबीआई की अधिकारी समेत अन्य टीम मुजफ्फरपुर पहुंची। इससे पहले भी टीम जेल में बंद एक आरोपी से पूछताछ करने के लिए पहुंची थी।

5 लाख का इनाम भी

फिर, खुशी के माता और पिता से मिलने के उनके घर पहुंची। वहां बीते 28 महीने में अब तक क्या क्या हुआ। इसकी जानकारी ली। केस से जुड़ी कई अहम जानकारियां परिजन से लिया है। इसके बाद टीम लौट गई। खुशी के नहीं मिलने पर सीबीआई की ओर से 5 लाख रुपए इनाम देने का भी ऐलान किया गया है। यह ऐलान सीबीआई ने अपनी जांच शुरू करने के 3 महीने बाद किया है।

सरस्वती पूजा पंडाल घूमने के लिए निकली थी

सब्जी विक्रेता राजन साह की पुत्री खुशी कुमारी 16 फरवरी 2021 को परिजनों के साथ सरस्वती पूजा पंडाल घूमने के लिए घर के पास ही निकली थी। लेकिन, वह ट्रेसलेस हो गई। उसका घर शहर के ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के लक्ष्मी चौक स्थित पमरिया टोला में है। मुजफ्फरपुर पुलिस को जब एक साल में खुशी का कोई ट्रेस नहीं मिला तो हाईकोर्ट ने 3 महीने पहले जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी।

सीबीआई को तीन महीने में कोई ट्रेस नहीं मिला तो उसकी विशेष अपराध शाखा के एसपी ने आम लोगों से अपील की है कि गुमशुदा खुशी के संबंध में कोई भी जानकारी हो तो बताएं। सुराग देनेवाले को 5 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।

खुशी के पिता ने क्या कहा था

खुशी के पिता राजन साह ने बताया था की 16 फरवरी 2021 को खुशी ब्रह्मपुरा के पमरिया टोला पूजा पंडाल से गायब हो गई थी। ब्रह्मपुरा थाने में अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस ने एक आरोपी को पूर्वी चंपारण जिला के अमन कुमार को गिरफ्तार किया था। इसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।

फिलहाल, वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है। हालांकि, बाद में ब्रह्मपुरा थाना पुलिस मामले की लीपापोती में ही लगी रही। खुशी को ढूढऩे को लेकर कभी गंभीर प्रयास नहीं किया गया। इसके पिता राजन साह ने पहले मानवाधिकार आयोग व बाद में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले के विवेचक को बदला गया।

हाईकोर्ट ने जताई थी नाराजगी

याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस की जांच के तौर-तरीकों पर हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी। वरीय पुलिस अधीक्षक ने खुशी की बरामदगी को अपने लिए चुनौती बताते हुए समय की मांग की थी, लेकिन मामला वहीं का वहीं रहा। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई की टीम को दी गई।

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