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25 सितंबर को सोनिया गांधी से मिलेंगे लालू-नीतीश:लालू ने विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को महागठबंधन से अलग-थलग रखा

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार 25 सिंतबर को कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात इसलिए मायने रखती है कि 2024 में लोकसभा का चुनाव है और नीतीश कुमार ने भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है।n

जदयू नीतीश कुमार को देश का प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम में लगी है। लालू प्रसाद उस मुहिम में जदयू के साथ हैं। यह और बात है कि नीतीश कुमार, रणनीति के तहत हर कार्यक्रम में यह कह रहे हैं कि उनकी महत्वाकांक्षा प्रधानमंत्री बनने की नहीं है और उनका मकसद भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करना है। यह भविष्य में तय होगा कि पीएम पद का सबसे बड़ा दावेदार भाजपा के नरेन्द्र मोदी के सामने विपक्ष में कौन है।

बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के बाद राजद का गुस्सा कांग्रेस पर रहा

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार 25 सितंबर की शाम के समय 6 बजे सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। लालू प्रसाद की पार्टी में तेजस्वी यादव का गुस्सा कांग्रेस को लेकर विधानसभा चुनाव के बाद से दिखने लगा था। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तो कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के लिए अपशब्द तक कह दिया था।

विधानसभा चुनाव रिजल्ट के बाद राजद के कई वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस की वजह से ही तेजस्वी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। कांग्रेस ने जिद्द करके विधानसभा चुनाव में 70 सीटें लीं और जीती महज 19 सीटें। यहां तक कहा गया कि लेफ्ट को ज्यादा सीटें दी जातीं तो महागठबंधन का परिणाम और बेहतर होता। लेकिन इसका जवाब कांग्रेस विरोधी दल के नेता अजीत शर्मा ने दिया था कि कांग्रेस को कई कमजोर सीटें महागठबंधन में दे दी गई थीं।

कई उपचुनावों मे कांग्रेस को महागठबंधन से अलग-थलग रखा गया

विधानसभा चुनाव के बाद राजद ने कांग्रेस को महागठबंधन से बिल्कुल अलग-थलग कर दिया था। यह बिहार के उपचुनावों में दिखा। कुशेश्वर स्थान जहां से कांग्रेस से उम्मीदवार पहले थे, वहां राजद ने बिना कांग्रेस से पूछे अपना उम्मीदवार दे दिया। तारापुर में भी कांग्रेस को अलग रखा गया।

इसके बाद बोचहां के उपचुनाव में भी कांग्रेस को अलग रखा गया। बदले में कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिए। महागठबंधन के अंदर ही तनातनी हो गई। इन उपचुनावों में सिर्फ बोचहां में राजद की जीत हुई। एमएलसी चुनाव में भी राजद ने कांग्रेस को महागठबंधन से अलग-थलग रखा। राजद की पहल पर पटना में भव्य महागठबंधन प्रतिनिधि सम्मेलन किया गया, उसमें कांग्रेस को नहीं बुलाया गया, जबकि लेफ्ट के बड़े नेता इसमें शामिल होने बाहर से भी आए थे।

नीतीश-तेजस्वी की सरकार बनीं तब जैसे सुलह हुई और कांग्रेस से दो मंत्री बने

बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर नीतीश-तेजस्वी की नई सरकार बनने के पहले तक महागठबंधन का मतलब ही जैसे कर दिया गया था राजद और लेफ्ट पार्टियां। जब नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और राजद, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई। तब कांग्रेस फिर से महागठबंधन के हिस्से के रुप में मजबूती से दिखी।

इस बीच कांग्रेस के प्रदेश स्तर के बड़े से लेकर छोटे कार्यकर्ताओं को अपमान का घूंट ही पीना पड़ा, लेकिन कांग्रेस यह सब भूल गई है। कांग्रेस के दो विधायक अफाक आलम और मुरारी गौतम नीतीश-सरकार में मंत्री बने हैं। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चार मंत्रियों की मांग रखी थी।

सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव। (फाइल फोटो)

सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव। (फाइल फोटो)

सांप-नेवला सभी भूल बाढ़ में एक दरख्त पर नजर आएंगे- अनिल शर्मा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

अनिल शर्मा की पहचान कांग्रेस में साफ बोलने वाले नेताओं में रही है। भास्कर ने उनसे बात की। शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस ने अपनी तरफ से एलायंस पार्टनर को कभी अपमानित नहीं किया, न कभी एलायंस तोड़ा है। जब-जब एलायंस टूटा है उसमें राजद की तरफ से ही पहल हुई है। कांग्रेस देश में सेक्यूलरिज्म के लिए प्रतिबद्ध है और उदार एप्रोच रखती है इसलिए जब भी कोई दोबारा साथ आना चाहता है तो कांग्रेस बिना शर्त उसे स्वीकार करती है।

कांग्रेस, भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को खतरा मानती है। वे कहते हैं कि शिवसेना भाजपा की पार्टनर थी लेकिन उसे लगा कि कांग्रेस के साथ आएं तो कांग्रेस ने शिवसेना को स्वीकार किया। राजद के साथ तो पुराना साथ रहा है। नीतीश कुमार के साथ भी हम सरकार में रहे हैं। अभी के समय में देश में तानाशाही है, लोकतंत्र के मिटने का खतरा है उसमें कांग्रेस अपने दायित्वों के प्रति सजग है और भाजपा के विरोध में सभी को एकजुट करने के प्रयास का स्वागत करेगी।

नीतीश कुमार 2024 के चुनाव के लिए विपक्षी एकता को मजबूत करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। जदयू जैसे बड़े पार्टनर ने भाजपा का साथ छोड़ भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है। शिवानंद तिवारी के तराजू पर मेंढक वाले बयान पर कहा कि बाढ़ में जैसे सांप- नेवला एक साथ बहते हुए एक दरख्त पर नजर आते उसी तरह भाजपा विरोध में बाकी सभी पार्टियां दिखेंगी।

कांग्रेस को कोई इग्नोर नहीं कर सकता– डॉ. शकील अहमद खान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद खान कहते हैं कि एलायंस में राजनीतिक पार्टियों की अपनी आइंडेंटिटी होती है। कांग्रेस की महत्ता है तभी तो सोनिया जी से मिलने लालू प्रसाद और नीतीश कुमार जा रहे हैं। राजनीति में तजुरबे होते रहते हैं। भाजपा के खिलाफ सभी एकजुट हो रहे हैं। कांग्रेस को कोई इग्नोर नहीं कर सकता। महागठबंधन की पार्टियां हो या भाजपा की अन्य विरोधी पार्टियां सभी का दिल दिमाग ठिकाने पर है। सभी का लक्ष्य यही है कि भाजपा के विरोध में कैसे एकजुट हों और 2024 को लोकसभा चुनाव में भाजपा को जवाब दिया जाए।

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