इस दिन व्रतीजन डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। पर्व का समापन तीन नवंबर यानी रविवार को उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। इसी दिन पारण किया जाएगा। नहाय-खाय महापर्व की शुरुआत 31 अक्तूबर यानी गुरुवार को नहाय-खाय के साथ होगी।गुरुवार को रहेगा भद्रा का योग ज्योतिषाचार्य पं. अवध नारायण द्विवेदी के अनुसार छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी, 31 अक्तूबर शनिवार से शुरू होगा।
खाने में अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू का सेवन करेंगे। परंपरा के अनुसार इस दिन से व्रत संपन्न होने तक व्रतीजन बिस्तर पर नहीं सोते हैं। खरना से प्रसाद बनाने के लिए घरों में गेंहू-चावल को शुद्धता से पिसवाने का काम शुरू हो गया है। खरना महापर्व का दूसरा चरण नहाय-खाय होगा। यह पहली नवंबर यानी शुक्रवार को है। इस दिन व्रतीजन शाम को भोजन करते हैं। भोजन में गुड़ खीर खाने की परंपरा है। डूबते सूर्य को अर्घ्य खरना के बाद तीसरा मुख्य चरण शनिवार यानी दो नवंबर को सूर्य पष्ठी है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर प्रसाद बनाते हैं। साथ ही छठ मइया के पारंपरिक गीतों से घर-आंगन गूंजेगा। प्रसाद में मुख्य रूप से ठेकुआ, गन्ना, बड़ा नीवू, चावल के लड्डू, फल आदि शामिल होगा। शाम को सूप में प्रसाद सजाकार व्रती अपने परिवार के साथ गंगा-यमुना के विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। उगते सूर्य को अर्घ्य महापर्व का अंतिम चरण तीन नवंबर यानी रविवार को है। इस दिन व्रतीजन भोर में परिवार के साथ डाला लेकर घाटों पर पहुंचेंगे। घाट पर स्थापित वेदी पर विधिविधान से पूजन-अर्चन के बाद जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठव्रती भगवान भाष्कर को प्रसाद अर्पित करने के बाद पारण करेंगे।
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