धनतेरस पूजन के साथ आज से पांच दिन के दीपोत्सव का आगाज होगा। महालक्ष्मी, श्रीगणेश, रिद्धि-सिद्धी, कुबेर आदि की विशेष पूजा-अर्चना की तैयारी घर से लेकर बाजारों तक चल रही है। जगह-जगह आकर्षक सजावट की जा रही है। धनतेरस पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6 से रात 8:34 बजे रहेगा।धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे।
इसलिए इस दिन इनकी पूजा के साथ मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु माना गया है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी धनतेरस के दिन नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन दीवाली पर किया जाता है।कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में धनतेरस की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं। साथ ही इस दिन मृ’त्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है। घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृ’त्यु का भ’य ख’त्म होता है।
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।
(हे धन धान्य के अधिपति देवता यक्षराज कुबेर, मुझे सदैव धन-धान्य और समृद्धि प्रदान करें।)
धनतेरस पूजन मुहूर्त
चौघड़िया के अनुसार मुहूर्त
चर : सुबह 7.32 से 8.02 और शाम 5.02 से 7.32 बजे तक।
लाभ : सुबह 8.02 से 9.32 और रात 9.32 से 11.02 बजे तक।
अमृत : सुबह 9.32 से 11.02 और रात 2.02 से 3.32 बजे तक।
शुभ : दोपहर 12.32 से दोपहर 2.02 और रात 12.32 से रात 2.02 बजे तक।
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