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#PUBG खेलने में मगन छात्र ने पानी के बजाए धोखे से पीया केमिकल, द’र्दनाक मौ’त, देखें…

मोबाइल गेम पबजी की लत ने मंगलवार को एक युवक की जा’न ले ली। ग्वालियर निवासी युवक अपने दोस्त के साथ स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस से आगरा आ रहा था। कान में ईयरफोन लगाकर गेम खेल रहा युवक उसमें इतना मगन हो गया कि बैग में रखी केमिकल की बोलत को पानी की बोतल समझ बैठा। जब तक उसे कोई रोकता युवक ने केमिकल पी लिया। युवक की ट्रेन में ही मौ’त हो गई। आगरा कैंट जीआरपी ने युवक के श’व को पोस्टमा’र्टम के लिए भेज दिया है। मंगलवार दोपहर 2 बजे ग्वालियर की तरफ से आगरा कैंट पहुंची स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस के स्लीपर कोच से ग्वालियर निवासी सौरभ यादव का शव उतारा गया। सौरभ के श’व के साथ उसका दोस्त ग्वालियर निवासी संतोष शर्मा भी था। संतोष ने जीआरपी को बताया कि वह चांदी आभूषणों पर पॉलिश का काम करता है।

इस वजह से उसका आगरा सर्राफा बाजार में आना-जाना होता है। मंगलवार को वह अपने पड़ोसी व 20 वर्षीय मित्र सौरभ यादव के साथ आगरा के लिए ग्वालियर से स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस में सवार हुआ था। संतोष अपने साथ जो बैग लाया था, उसमें पॉलिश में इस्तेमाल होने वाला केमिकल एक बोतल में रखा था। बैग में पानी की बोतल भी रखी थी। ट्रेन में बैठते ही सौरभ ने ईयरफोन लगाकर मोबाइल पर पबजी गेम खेलना शुरू कर दिया था। वह थोड़ी दूर बैठा था। मुरैना के पास सौरभ को प्यास लगी तो उसने पबजी खेलने में व्यस्त होने के चलते बिना देखे पानी की बोतल निकालने के लिए बैग में हाथ डाला। दुर्भाग्यवश: उसके हाथ में केमिकल भरी बोतल लग गई। सौरभ ने बिना देखे बोतल को मुंह से लगा लिया। गले में केमिकल के उतरते ही सौरभ की हा’लत ख’राब हो गई। आसपास बैठे लोग सौरभ की बि’गड़ती हा’लत देखकर घ’बरा गए। ट्रेन तब तक धौलपुर स्टेशन पहुंच गई थी। वहां ट्रेन का ठहराव न होने से सौरभ को समय पर इ’लाज नहीं मिल सका। ट्रेन आगरा कैंट पहुंची तब तक सौरभ की मौ’त हो चुकी थी। जीआरपी ने पंचनामा भरकर श’व को पोस्टमा’र्टम के लिए भेज दिया। संतोष ने मा’मले की जानकारी फोन पर सौरभ के परिजनों को दे दी थी। सौरभ पढ़ाई के साथ-साथ ग्वालियर में किसी पार्किंग में काम करता था। परिजन पोस्टमा’र्टम हाउस पहुंच गए। इंस्पेक्टर जीआरपी ने बताया कि सौरभ की मौ’त के मा’मले में परिजनों की तरफ से अभी कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई है।

PUBG के शि’कार बच्चे को पहचान कर ऐसे ब’चें

क्या है पबजी
पबजी मोबाइल एक शूटर बैटल रॉयल गेम है, जिसमें 100 खिलाड़ी एक बैटलग्राउंड में छोड़े जाते हैं और वे म’रने तक ल’ड़ते हैं। 100 लोगों में आखिर तक जिं’दा रहने वाला खिलाड़ी गेम का विजेता बनता है।

गेम का बच्चों पर असर
– नींद की स’मस्या होना
– समाज से क’टना
– एकाग्रता में कमी, भूलने की बीमा’री होना
– गेम से आ’क्रामकता बढ़ रही
– बच्चों के स्वभाव में चि’ड़चि”ड़ापन
– रचनात्मक कार्य करने को समय की कमी
– आंखों की रोशनी प्र’भावित हो रही।
– लगातार बैठे रहने से मोटापा, ब्ल’ड प्रे’शर और डायबिटीज जैसी स’मस्याएं बढ़ रहीं

इस तरह बच्चों की करें पहचान
– बच्चा गु’मसुम और लोगों से अलग-अलग (एकाकी) रहता हो
– बच्चे में गु’स्सा कम आता हो लेकिन चि’ड़चि’ड़ापन हो
– पढ़ाई में सामान्य हो लेकिन खेलकूद में सबसे कम’जोर
– शारीरिक दुबले-पतले और मौसमी बी’मारियों से ग्र’सित रहने वाले

कैसे छुड़ाएं गेम की आदत
अगर बच्चे मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं तो इस बात पर नजर रखी जाए कि वह किन चीजों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। एलके सिंह कहते हैं कि अगर बच्चा मोबाइल में गेम या पबजी का ल’ती हो रहा है तो उसे समझाएं। धीरे-धीरे उसकी ए’नर्जी बांटने की कोशिश करें। उसे अन्य कामों में लगाएं। गेम को डिलीट कर दें। इसके बाद उसकी निगरानी करते रहें। उसके साथ अपनापन दिखाने का प्रयास करें। डां’टे-फ’टकारें नहीं बल्कि उसे लगातार इसके नु’कसान के बारे में समझाएं।

जरूरी बातें
– 200 पैरेंट्स से मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के काउंसलरों ने बात की
– 100 पैरेंट्स को बच्चों के साथ काउसिलिंग सेंटर बुलाया गया
– 90% बच्चों ने माना कि वह स्कूल न जाकर पबजी खेलते हैं
– 10 फीसदी बच्चों ने माना कि स्कूल टाइम के बाद पढ़ाई नहीं करते
– 40 स्कूलों के सभी बच्चे 8वीं से 12वीं के बीच पढ़ने वाले

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