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नीतीश कुमार ने की घोषणा, कहा- ‘बिहार समेत पूरे देश में बंद किए जाएं पो’र्न साइट्स’, जानें…

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हैदराबाद की घटना के बाद बिहार के बक्सर और समस्तीपुर में युवतियों को जलाकर मार डालने की घ’टना पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया इस तरह की घ’टनाओं के लिए एक हद तक जिम्मेदार है। सोशल मीडिया का दु’रुपयोग सही नहीं है। पो’र्न साइट गलत काम करता है, इससे मानसिकता बि’गड़ती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हैदराबाद में सामूहिक दु’ष्कर्म की घट’ना पर चिं’ता जताते हुए कहा कि हमने तय किया है कि पो’र्न सा’इट पर ‘रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे। लड़कियों के साथ ग’लत काम कर उनके वीडियो और तस्वीरों को पो’र्न साइट पर पोस्ट किया जाता है। इसका असर युवाओं पर पड़ रहा है। इसलिए बिहार सहित पूरे देश में पो’र्न साइट पर रोक लगाई जाए, ताकि कोई गं’दी चीजों को न देख पाए।

हम एक स्वस्थ समाज बनाने की दिशा में आगे बढ़ते रहें। शुक्रवार को जल जीवन हरियाली मिशन यात्रा पर गोपालगंज के बरौली प्रखंड के देवापुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने 245.85 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस मौके पर आयोजित सम्मेलन में उन्होंने सवाल किया कि हैदराबाद जैसी घट’नाएं उत्तर प्रदेश, बिहार, सहित तमाम राज्यों में आखिर क्यों हो रही हैं। यह बहुत ख’राब स्थि’ति है।उन्‍होंने कहा कि आजकल सो’शल मीडिया का जमाना है। लेकिन, उसका अच्छा काम भी है। तकनीक का लाभ लोग उठा भी रहे हैं, पर कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। देश का नाम खराब करने का काम हो रहा है, जिसका असर सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। ऐसी घ’टनाओं से बचने के लिए हमें जन जागरुकता की जरूरत है, इसमें मीडिया की भूमिका अहम है। अभियान चलाकर रिटायर्ड जज, शिक्षक और दूसरे बुद्धिजीवी वर्ग से राय लेनी चाहिए, एक मजबूत संदेश दिया जाए ताकि देश का नाम और ऊंचा हो सके।

हमारी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में उन्नयन बिहार कार्यक्रम के तहत नई जागृति लाने काम करेगी।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि 2005 में मैंने न्याय यात्रा के दौरान ही ये तय किया था कि न्याय के साथ विकास का काम चलेगा। फिर वो किसी भी वर्ग के उत्थान की बात ही क्यों ना हो? हमने सबको मुख्य धारा से जोड़ा, हर क्षेत्र में काम किया। बिहार में उत्पादकता बढ़ी, विकास का काम हुआ, जब मौका मिला। हम जिस समय आए उस समय बिहार का बजट 25 लाख था, आज यह काफी बढ़ गया है। मैंने जो काम शुरू किया, उसको जारी रखा है, कोई काम छोड़ा नहीं है।

हमने लड़कियों के लिए काम किया, प्राथमिक विद्यायल के बाद लड़कियां स्कूल नहीं जाती थीं, लेकिन अब देखिए, माता-पिता ये कहते हैं कि लड़कियों को 8वीं तक ही क्यों पढ़ाये? इसके लिए राज्य के सभी स्कूलों में मैट्रिक तक पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित की। बिहार में कोई सोचता नहीं था कि लड़की साइकिल भी चलाएगी, इतनी संख्या में स्कूल भी जाएंगी। उस वक्त कहीं भी लड़कियां साइकिल चलाती नहीं दिखती थीं, लेकिन हमने साइकिल योजना से उनका उत्साह बढ़ाया। आज देखिये लड़कियां हर गांव में साइकिल चलाती स्कूल जाती दिख जाएंगी।

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