राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर 11वीं बार भी लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के ही लगातार चुने जाने की खबर कोई हैरान करने वाली बात नहीं है। बल्कि, सवाल है कि जेल में रहकर भी पार्टी की कमान संभालने की आखिर क्या मजबूरी है?यह सवाल खासकर तब, जब लालू परिवार से ही इस पद के लिए दो तगड़े दावेदार हैं। नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपनी पहचान बना ली है। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में राबड़ी देवी (Rabri Devi) भी परिवार से ही बड़ी दावेदार हैं। फिर भी लालू का सहारा क्यों? क्या तेजस्वी यादव को वजूद बचाने के लिए पिता का सहारा चाहिए?सवाल आरजेडी के अंदर से भी उठ रहे हैं और बाहर से भी।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने तो यह भी कह दिया कि लालू को आजीवन ही अध्यक्ष क्यों नहीं बना दिया जाता है? बार-बार की नौटंकी क्यों?
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने तो यह भी कह दिया कि लालू को आजीवन ही अध्यक्ष क्यों नहीं बना दिया जाता है? बार-बार की नौटंकी क्यों?चारा घो’टाले (Fodder Scam) में स’जा के दौ’रान रांची के अस्पताल (RIMS) में इ’लाजरत लालू की ताजपोशी के मकसद के मायने तेजस्वी के उस बयान से साफ हो जाते हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पिता व्यक्ति नहीं, विचारधारा हैं और उनके नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव (Bihar Assembl Election) होगा। तेजस्वी के बयान में सूबे की भावी सियासत का संकेत है। साथ ही सामाजिक समीकरण (Social Equations) दुरुस्त करने और राजनीतिक वजूद बचाने की जद्दोजहद भी दिख रही है।पिछले दो वर्षों से लालू के जेल में रहने के कारण आरजेडी की सारी जिम्मेवारी तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं।
उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) भी लड़ा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Narendra Modi) की लहर के सामने तेजस्वी का तेज फीका पड़ गया। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बिहार में जबरदस्त जीत हासिल की। नतीजे के बाद पांच दलों के महागठबंधन (Grand Alliance) में घमासान छिड़ गया और सबके निशाने पर तेजस्वी आ गए। कारण यह कि चुनाव में गठबंधन की बागडोर तेजस्वी के हाथों में ही थी।
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