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बिहार विधानसभा में कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का उठा मुद्दा, सरकार ने माना- नियम न होने के चलते लाचार

पटना:
कोरोना काल में निजी स्कूलों की गूंज आज बिहार विधानसभा में महसूस की गई। विपक्षी राजद (RJD) के विधायक ने इस सवाल को सदन में उठाया और सरकार का ध्यान प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की तरफ उठाया।

RJD विधायक भाई वीरेंद्र ने उठाया मुद्दा
बिहार विधान सभा में मंगलवार को कोरोना काल में निजी स्कूलों की जबरन फीस वसूली का सवाल उठा। राजद (RJD) विधायक भाई वीरेंद्र ने इसे उठाते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूल मनमानी कर रहे हैं। इससे अभिभावकों को परेशानी हो रही है। सरकार इस मामले में संज्ञान ले।

शिक्षा मंत्री बोले- हम तो चाहते हैं कि कोरोना काल की फीस ही नहीं ली जाए
RJD एमएलए भाई वीरेन्द्र के सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि ‘हम लोगों के अलावा आप सबलोग चाहते हैं कि कोरोना काल की स्कूल फीस नहीं ली जाए। लेकिन सरकार के पास ऐसा कोई नियम नहीं है कि जो फीस ले ली गई उसे वसूल किया जाए। स्कूल मालिकों की दलील है कि उन्होंने ऑनलाइन क्लास करवाएं हैं।’

उन्होंने यह भी बताया कि प्राइवेट स्कूल में मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने पर रोक के लिए 2019 में कानून बनाया गया था। सदस्यों के आग्रह और आसन के हस्तक्षेप पर शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले को देखेगी।

सांप पर सरकार को ‘सरकार’ ने ही फंसाया

मंगलवार को बिहार विधानसभा में शराब के बदले सांप का मुद्दा गूंज उठा। लेकिन सांप पर विपक्ष ने नहीं बल्कि सत्ताधारी बीजेपी के विधायक पवन जायसवाल ने ही अपनी पार्टी के कोटे के मंत्री नीरज कुमार सिंह उर्फ बबलू को घेर लिया। और सदन में सरकार की किरकिरी हो गई।

दरअसल प्रश्नकाल में आज एक बार फिर से सवाल उठा कि सर्पदंश से मृत्यु पर पीड़ित परिवार को मुआवजा दिए जाने का क्या प्रावधान है। BJP विधायक पवन जायसवाल का ये सवाल पहले आया था। इसके बाद आपदा प्रबंधन विभाग ने इस सवाल को वन पर्यावरण विभाग को हस्तांतरित किया था।

आज एक बार फिर से सवाल सदन में आया। वन पर्यवारण विभाग ने इस सवाल को एक बार फिर से आपदा प्रबधन विभाग को ही लौटा दिया। इसके बाद सदन में सरकार घिर गई। विधायक पवन जायसवाल ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई।इसके बाद विस अध्यक्ष विजय सिन्हा ने इस पर संज्ञान ले लिया।

ऐसे घिरी सरकार
सत्ताधारी विधायक के इस सवाल पर विपक्ष को भी मौका मिल गया और सरकार सदन में घिरती दिखने लगी। एक विधायक ने इसी सवाल पर ध्यान दिलाते हुए पूछा कि राज्य में वन एवं पर्यावरण अधिनियम के तहत सांपों को मारने पर गैर जमानती वारंट जारी होता है। लेकिन सांप के डसने पर मौत से मुआवजा क्यों नहीं मिलेगा।

इधर सत्ता पक्ष की ओर से पवन जायसवाल,संजय सरावगी समेत अन्य विधायकों ने कहा कि सवाल की फेंका-फेंकी (विभागीय टाल मटोल) हो रही है। ऐसे में अफसरों पर कार्रवाई हो।


तत्कालीन मंत्री सुशील मोदी ने मुआवजे का किया था वादा- BJP
BJP विधायक संजय सरावगी ने कहा कि पिछली बार तत्कालीन मंत्री सुशील कुमार मोदी ने सदन में आश्वासन दिया था कि वन पर्यावरण विभाग से सर्पदंश से मृत्यु पर पीड़ित परिवार को 4 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।अब कहा जा रहा कि विभाग में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है और सवाल लौटा दिया गया है। विवाद बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने पहल की।


विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन में सरकार को ये निर्देश दिया कि डिप्टी सीएम, संसदीय कार्य मंत्री और दोनों विभाग के मंत्री साथ बैठें। इस बैठक में अधिकारियों को भी रखा जाए और सवाल का हल निकाला जाए।

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