अब कोई पदाधिकारी यह नहीं कह सकेगा कि उसे शे’ल्टर होम से संबंधित कोई सूचना नहीं थी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि बालक गृह, बालिका गृह, पर्यवेक्षण गृह, दत्तक ग्रहण केंद्र व अन्य केंद्रों की रेटिंग भी तकनीकी सहायता से की जाएगी। इसके लिए संस्थाओं के कार्य संचालन एवं देख-रेख के तरीके, गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं की उपलब्धता इत्यादि के आधार पर एक से पांच तक रेटिंग की जाएगी। चार या पांच स्टार रेटिंग मिलने पर कार्य संतोषजनक एवं एक से तीन स्टार मिलने पर कार्य संचालन को खराब माना जाएगा। विभाग द्वारा न्यूनतम मानकों की गुणवत्ता को स्थापित करने की तैयारी की जा रही है।मुजफ्फरपुर बालिका गृहकां’ड के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने एक पारदर्शी तंत्र विकसित करने की तैयारी की है, ताकि किसी प्रकार की चूक न हो। इसके तहत रिपोर्टिंग का पूरा तरीका ही बदल जाएगा। प्रतिदिन और 15 या 30 दिन पर होने वाली रिपोर्ट को ऑनलाइन ही दाखिल किया जाएगा।
इसके लिए यूनिसेफ और राज्य बाल संरक्षण समिति द्वारा कर्मियों को प्रशिक्षित किए जाने का कार्य भी शुरू किया जा चुका है। प्रथम चरण में जिला निरीक्षण समिति के सभी सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। साथ ही संस्थाओं में कार्य करने वाले कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इनकी रिपोर्टिंग व्यवस्था को चेक भी किया गया है, ताकि कोई उसमें छे’ड़छा’ड़ की आशंका न रहे। वरीय पदाधिकारी सिर्फ टिप्पणी या का’र्रवाई अंकित कर रिपोर्ट को आगे बढ़ाएंगे।
बाल कल्याण समिति, जिला निरीक्षण समिति के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत जिला पदाधिकारी, जिला सिविल सर्जन, पुलिस उपाधीक्षक, शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भी प्रशिक्षित किया जाना है। इस ऑनलाइन व्यवस्था में किसी भी परिस्थिति में निगरानी समितियों को अपनी रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर अपलोड करना अनिवार्य होगा। अगर निरीक्षण के दौ’रान कानून व्यवस्था के उ’ल्लंघन से संबंधित कोई मा’मला सामने आता है तो 24 घंटे के अंदर प्रा’थमिकी द’र्ज कराते हुए रिपोर्ट अपलोड करना होगा।
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