साईं बाबा की पूजा के लिए गुरुवार का दिन माना गया है। कहते हैं कि कोई भी नियम साईं बाबा की पूजा के लिए नहीं हैं। हालांकि भक्तों के लिए साईं बाबा के 11 वचन हैं जो उनके लिए बहुत ही महत्व रखते हैं। ऐसा कहा गया है कि जीवन की हर समस्या का समाधान साईं बाबा के इन्हीं 11 वचनों में छुपा हुआ है। चलिए आपको साईंबाबा के ये 11 वचन के बारे में हम आपको बताते हैं।
पहला वचन
जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
शिरडी को साईं बाबा की नगरी कहते हैं। मान्यताओं में कहा गया है कि जो भी शिरडी जाता है उसकी हर परेशानी दूर हो जाती है।
दूसरा वचन
चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर
साईं मंदिर को साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी कहते हैं। कहा जाता है कि सारी मनाकामना साईं मंदिर में आकर बाबा के दर्शन करने से पूरी हो जाती हैं।
साईं मंदिर को साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी कहते हैं। कहा जाता है कि सारी मनाकामना साईं मंदिर में आकर बाबा के दर्शन करने से पूरी हो जाती हैं।
तीसरा वचन
त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा
हमेशा अपने भक्तों के लिए साईं बाबा समर्पित रहते हैं। साईं बाबा के इस वचन में कहा गया है कि अगर किसी भी मु’सीबत में मेरा भक्त होगा तो मैं शरीर में भले ही न रहूं, लेकिन अपने भक्त की मदद के लिए दौड़ कर आ जाऊंगा।
चौथा वचन
मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस
जीवन में श्रद्धा का साईं बाबा ने बहुत महत्व बताया है। साईं बाबा ने कहा है कि अपने मन में भक्तों को पूरा विश्वास रखना चाहिए उनकी हर मनोकामना समाधि पर आने पर पूर्ण होंगी।
पांचवा वचन
मुझे सदा जीवित हो जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
साईं बाबा ने अपने पांचवे वचन में कहा है कि जीवित ही मुझे हमेशा समझो।
छठा वचन
मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए
साईं बाबा ने अपने इस वचन में कहा है कि मेरी शरण में जो भी भक्त आएं हैं उनकी हर मुराद को मैं पूरी करता हूं।
सातवां वचन
जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का
साईं बाबा ने अपने सातवें वचन में कहा है कि जैसा भाव इंसान का होता है वैसा ही मैं उसे दिखाई देता हूं।
आठवां वचन
भार तुम्हारा मुझ पर होगा,वचन न मेरा झूठा होगा
साईं बाबा ने कहा है कि श्रद्धा भक्ति से भक्त मेरे पास आते हैं तो मैं उनकी मदद जरूर करुंगा।
नौवां वचन
आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर
साईं बाबा कहते हैं कि मुझसे मदद की उम्मीद जो भक्त श्रद्धा भाव से करते हैं उनकी हर मनोकामना को मैं पूरा करूंगा।
दसवां वचन
मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
साईं बाबा ने अपने इस वचन में कहा है कि मुझमें तन, मन, वचन से जो भक्त लीन हो जाते हैं मैं हमेशा ऋणी उस भक्त के लिए रहता हूं।
ग्यारहवां वचन
धन्य धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
इस वचन में साईं बाबा ने कहा है कि अनन्य भाव से जो भक्त मेरी भक्ति में लीन होते हैं वह बहुत धन्य हैं।
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