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शाहनवाज हुसैन को BJP का इनाम: विधान परिषद उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी बनाये गये

PATNA: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रह चुके सैयद शाहनवाज हुसैन को बीजेपी ने इनाम दे दिया है. पार्टी ने उन्हें बिहार विधान परिषद के उप चुनाव में उम्मीदवार बना दिया है. बीजेपी की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गयी है. बिहार में विधान परिषद की दो सीटों के लिए उप चुनाव हो रहे हैं. इनमें से एक सीट पर शाहनवाज को उम्मीदवार बनाया गया है, दूसरी सीट पर बीजेपी ने पत्ते नहीं खोले हैं.

शाहनवाज को कैसा इनाम

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन दो दफे सांसद रहने के साथ ही केंद्र में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वाजपेयी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद मिला था. लेकिन नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद वे अलग थलग पड़े थे. पार्टी ने उन्हें हालिया दिनों में काम पर लगाया था. जम्मू-कश्मीर में हुए डीडीसी चुनाव में शाहनवाज हुसैन को चुनाव अभियान का सह प्रभारी बनाया गया था. इस चुनाव में बीजेपी ने संतोषजनक प्रदर्शन किया था. इसके बाद ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि उन्हें पार्टी की ओर से इनाम दिया जा सकता है.

लेकिन सियासी हलके में ये सवाल उठ रहा है कि शाहनवाज हुसैन को कैसा इनाम दिया गया है. पार्टी ने उनका डिमोशन कर दिल्ली से पटना भेज दिया. दो-दो दफे सांसद और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रह चुके अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता को पार्टी ने बिहार में एमएलसी बना दिया. दिलचस्प बात ये भी है कि एमएलसी के ऐसे में उपचुनाव में उन्हें प्रत्याशी बनाया गया है जिसका कार्यकाल बेहद कम है. बिहार में बीजेपी के दो विधान पार्षदों की सीट खाली हुई है. विनोद नारायण झा के विधायक चुने जाने के कारण तो सुशील मोदी के सांसद बनने के कारण दोनों की विधान परिषद की सीटों पर उप चुनाव हो रहा है. इनमें से एक का कार्यकाल डेढ़ साल तो दूसरे का साढ़े तीन साल है. हालांकि पार्टी ने ये भी क्लीयर नहीं किया है कि शाहनवाज को डेढ साल वाली सीट मिल रही है या साढ़े तीन साल वाली.

बीजेपी ने एक सीट सहयोगी के लिए छोड़ी

बिहार में विधान परिषद की जिन दो सीटों के लिए उप चुनाव हो रहे हैं वे दोनों बीजेपी की सीट हैं. लेकिन बीजेपी ने सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे में चर्चा ये है कि मुकेश सहनी के लिए दूसरी सीट छोड़ी गयी है. मुकेश सहनी को चुनाव के पहले विधान परिषद की सीट देने का वादा किया गया था. मुकेश सहनी इस उम्मीद में थे कि राज्यपाल कोटे से उन्हें 6 साल के लिए एमएलसी बनाया जायेगा लेकिन जानकार बता रहे हैं कि उन्हें विधान परिषद उप चुनाव वाली सीट दी गयी है.

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