नई दिल्ली. कोविड 19 की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) बन चुकी है. सरकार की ओर से वैक्सीन लगाने के लिए तैयारियां की जा रही हैं. वहीं दूसरी ओर लोगों में वैक्सीन को लेकर कई तरह के डर पनप रहे हैं. जिस पर चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को वैक्सीन के संबंध में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है. इसके बाद ही वैक्सीन को लेकर पैदा हो रहे डर और संदेहों को खत्म किया जा सकता है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व महानिदेशक और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव डॉ. वी एम कटोच ने वैक्सीन को लेकर कई जरूरी बातें बताई हैं. जिन्हें पढ़ना जरूरी है.
डॉ. कटोच कहते हैं, ‘एक प्रभावी टीका किसी भी संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. महामारी को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है. यह खुशी की बात है कि हमारे वैज्ञानिकों ने इतने कम समय में इतने सारे वैक्सीन विकसित किए हैं. वैज्ञानिकों ने टीकों की सुरक्षा की जांच करने के लिए सभी जरूरी मानकों का उपयोग किया होगा. तभी इसका विकास हुआ है. साथ ही हमारे नियामक इन टीकों को बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तभी पास करेंगे, जब वे निर्धारित मानदंडों के अनुसार उनकी सुरक्षा और प्रभावकारिता के बारे में आश्वस्त हो जाएंगे. हालांकि इस समय लोगों को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है. लोगों को यह बताना होगा कि टीका कैसे काम करता है, कुछ मामलों में टीका का प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है, ऐसा होने पर उन्हें क्या करना चाहिए. इसके लिए लोगों को पूरी जानकारी देनी होगी. जब लोग जानेंगे कि विज्ञान कैसे काम करता है, उन्हें सभी सही तथ्यों से अवगत कराया जाएगा, तो निश्चित ही वे सहयोग करेंगे.’
वे कहते हैं, ‘लोगों के पास बहुत सारे सवाल और चिंताएं हो सकती हैं, क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर उनके स्वास्थ्य और उनके प्रियजनों के स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा है. लेकिन लोगों को वैज्ञानिक प्रक्रिया को बताने की जरूरत है.आखिर हम क्यों कोरोना टीका को आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे रहे हैं. अगर हम छह महीने के लिए टीका लगाने में देरी करते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. हमारे देश में कई इलाके ऐसे हैं, जो अभी तक कोरोना वायरस के संपर्क में नहीं हैं. हम नहीं जानते कि आने वाले महीनों में वायरस कैसा व्यवहार करने वाला है? यह वापस आ सकता है कि नहीं लेकिन मैं इतना कहना चाहूंगा कि हमें अपने लोगों को वायरस और वैक्सीन के बारे में सूचित और शिक्षित करना होगा.’
ीकाकरण के बाद उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव की निगरानी है जरूरी
डॉ. कटोच कहते हैं, ‘भारत (India) एक बड़ा राज्य है. यहां 1.3 अरब लोगों को टीकाकरण के लिए तैयारी की बात है तो हर स्तर पर बेहतर तैयारी हो रही है. कार्ययोजना बना ली गई है. हमारे पास पहले के टीकाकरण अभियान के पर्याप्त अनुभव हैं. हम जब भी कुछ हासिल करना चाहते हैं, तो हमें सफलता मिली है. हालांकि इस समय जो जरूरी है वह यह है कि हमें वैक्सीन को इस गति से रोल आउट करना चाहिए, जिस पर हम इसके प्रभावों और दुष्प्रभावों की निगरानी कर सकें. साथ ही अपनी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय कर सकें. हमारे फार्मा कंपनी-सतर्कता तंत्र में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है। एक टीका को रोलआउट के बाद इसके प्रतिकूल घटना को ट्रैक करना और उसका समाधान महत्वपूर्ण है.’
वैक्सीन के बाद भी कोविड की सावधानियां हैं जरूरी
उन्होंने कहा, ‘वैक्सीन (Vaccine) लग जाने के बाद लोगों को मास्क पहनना होगा. मेरी सलाह है कि लोगों को शारीरिक दूरी बनाए रखनी होगी. यह वैक्सीन नया है. फिलहाल हम यह नहीं जानते हैं कि यह बीमारी को नियंत्रित करने में कितनी प्रभावी होगी. ऐसे में लापरवाही के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. मुझे लगता है कि हमें 1919-20 में आए प्लेग महामारी के ऐतिहासिक तथ्यों से समझना चाहिए, इसके बारे में लोगों को यह भी बताना चाहिए कि इसे मास्क का उपयोग करके भी रोका गया था. जो भी संक्रामक रोग श्वसन मार्ग के जरिए फैलते हैं और असर डालते हैं, उसे रोकने के लिए मास्क कारगर उपाय है. इसके साथ ही स्वच्छता, सतर्कता और शारीरिक दूरी भी बेहद जरूरी है. महामारी तभी रोकी जा सकती है, जब लोग रोग पैदा करने वाले रोगजनक के प्रति प्रतिरोधी हो जाएं. हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के दो तरीके हैं – एक, रोगजनक के संपर्क में आने पर शरीर में एंटीबॉडी/इम्युनिटी विकसित होती है और दूसरा, जब हम टीका देते हैं तो शरीर एंटीबॉडी/ इम्युनिटी को विकसित करता है. दरअसल, हर्ड इम्युनिटी के लिए टीका लगाना एक शक्तिशाली तरीका रहा है. हमने चेचक के खिलाफ टीके का उपयोग करके इस रोग को मिटा दिया है.’
कटोच आगे कहते हैं, ‘अब तक हमने तुरंत कार्रवाई की है और प्रभावी रूप से वायरस को नियंत्रण में लाया है. जब तक कोरोना आम और हल्का रोग नहीं बन जाता, हमें इसके लिए तैयार रहना होगा. यह महत्वपूर्ण है कि हम लोगों को उनके बारे में पूरी जानकारी देते रहें कि हम क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं ? हमें सूचना सामग्री को विकसित करना चाहिए और उसे जन-जन तक पहुंचाना चाहिए. जिससे समाज के विभिन्न वर्गों को आसानी से समझ में आ जाए. विशेष रूप से, हमें पंचायतों और गांवों के स्तर पर भी लोगों के साथ अपने संवाद को मजबूत करने की आवश्यकता है.’



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