संस्थागत प्रसव को बढ़ाने का दिया निर्देश
नर्सिंग होम को उपलब्ध कराने होंगे आंकड़े
शिवहर। 17 दिसंबर
वित्तीय वर्ष 2020-21 में संस्थागत प्रसव की संख्या में गिरावट आयी है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी अवनीश कुमार ने संस्थागत प्रसव को बढ़ाने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिया है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सभी नर्सिंग होम व क्लिनिक में हो रहे संस्थागत प्रसव के आंकड़ों को प्रत्येक माह हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉरमेंशन सिस्टम(एचएमआइएस) पोर्टल पर अपलोड कराने होंगे। क्लिनिकल एस्टैब्लिश्मेंट एक्ट के तहत प्रत्येक निजी संस्थान को सभी तरह के आंकड़े उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
नर्सिंग होम को उपलब्ध कराने होंगे आंकड़े
जिले में होने वाले प्रसव व मातृ स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अब निजी स्वास्थ्य संस्थानों को भी इस संबंध में आवश्यक सूचनाएं स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। यह कवायद सुरक्षित प्रसव के साथ मातृ मृत्यु दर को कम करने की दिशा में की जा रही है। सिविल सर्जन डॉ आरपी सिंह ने कहा कि क्लिनिकल एस्टैब्लिश्मेंट एक्ट के तहत प्रत्येक निजी स्वास्थ्य संस्थान को सभी तरह के आंकड़े उपलब्ध कराना अनिवार्य है। संस्थागत प्रसव को बढ़ाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग की यह उल्लेखीय पहल होगी।
उपलब्ध कराया जा रहा है लॉगिन आइडी व पासवर्ड
जिला द्वारा उपलब्ध कराये गये निजी संस्थानों की सूची के अनुसार राज्य द्वारा नये एचएमआइएस पोर्टल पर लॉगिन आइडी व पासवर्ड उपलब्ध कराया जा रहा है। इसकी मदद से निजी स्वास्थ्य संस्थान द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं से संबंधित आंकड़ों को जमा कर संस्थान स्तर से डाटा एंट्री की जानी है। जिला मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण पदाधिकारी द्वारा इसका नियमित मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण किया जाना है। सभी निजी स्वास्थ्य संस्थानों से प्रसव व मातृ स्वास्थ्य संबंधित प्रतिवेदन को नये एचएमआइएस पर ससमय सुनिश्चित कराने और सुगम क्रियान्व्यन के लिए सभी निजी स्वास्थ्य संस्थानों एवं संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानक दिये गये
एचएमआइएस पोर्टल पर आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानक दिये गये हैं। इसमें सिजेरियन सेक्शन सहित कुल संस्थागत प्रसवों की संख्या, सिजेरियन सेक्शन की संख्या, लड़की व लड़का शिशु का जन्म, गर्भवस्था में शिशु की मौत, 15 से 49 वर्ष आयु समूह की गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान हुई मौ’त, जन्म के 24 घंटे के भीतर शिशु की मृत्यु, एक माह के भीरत हुई शिशु की मृत्यु की संख्या, एक माह से 12 माह के शिशु की हुई मृत्यु के आंकड़े एवं पांच साल तक के आयु समूह में बच्चों की मृ’त्यु की संख्या आदि की जानकारी देनी होगी।



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