‘इक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं…’ यह गाना आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना सालों-साल पहले रहा है. इसके गीतकार संतोष आनंद (Santosh Anand) को भला कौन नहीं जानता. उम्र के 84 बसंत पार कर चुके संतोष आनंद ने एक से बढ़कर एक गीत लिखे हैं. कभी गीतकार संतोष आनंद ने सोचा था कि अब दुनिया में उनकी प्रेमिका नहीं रही होगी. लेकिन 50 साल बाद उन्हें उनकी प्रेमिका मिली, इसका खुलासा खुद संतोष आनंद ने किया.हिंदी फिल्म सिनेमा को एक से एक सुपरहिट गीत देने वाले दिल्ली निवासी मशहूर गीतकार संतोष आनंद शनिवार की शाम पटना में थे.
राजधानी के रविंद्र भवन में व्हीलचेयर पर बैठे 84 साल के संतोष आनंद जब कार्यक्रम में शि’रकत करने के लिए पहुंचे थे, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह अपना एक बड़ा राज पटना में खोलने जा रहे हैं.दरअसल संतोष आनंद ने यह राज खोला कि उन्होंने जिस प्रेमिका के ‘इक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं…’ गीत लिखा था वह 50 साल के बाद उन्हें अब जाकर मिली है. हालांकि संतोष आनंद ने कहा कि उनके मन में कई बार यह ख्याल भी आया था कि शायद उनकी यह प्रेमिका अब दुनिया में ही नहीं हो, लेकिन करीब 50 साल बाद प्रेमिका से उनकी बात हुई. उन्होंने बताया कि उनकी यह प्रेमिका पुणे में रहती है और रोज फोन पर बातें भी करती है.
पटनावासियों से बात करते हुए संतोष आनंद ने कहा कि पटना के लोग बहुत प्यारे हैं और इसका नाम ‘पटजा’ होना चाहिए था. संतोष आनंद ने अपने जैसे बुजुर्गों को एक बड़ा संदेश देते हुए कहा कि आदमी उम्र से नहीं हौसले से जीता है और आज अगर वे विपरीत हालात में भी मजे की जिंदगी जी रहे हैं तो यह बस हौंसले के कारण है. संतोष आनंद ने कहा कि भले ही उनका शरीर साथ नहीं दे रहा लेकिन अपने हौसलों और ऊर्जा के बल पर वे अधिक से अधिक जीना चाहते हैं.
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