नीलोत्पल मृणाल ने हिंदुस्तान से विशेष बातचीत में कहा कि यह अपसंस्कृति पर भदेस संस्कृति की जीत है। लड़ाई के आरंभ में ही इसमें जीत मिली है। अपने फेसबुक पोस्ट में नीलोत्पल ने लिखा है कि यह सु’खद अनुभूति है कि लोग अपनी संस्कृति को बचाने के लिए आगे आ रहे. उन्होंने इसे स्वत: स्फूर्त आंदोलन बताया और कहा कि उन्होंने लोगों से किसी आं’दोलन की अपील नहीं की थी। उन्होंने महज अपनी पी’ड़ा जाहिर की थी जो कि जायज थी। भाषा वेशभूषा और पहनावे के आधार पर आप किसी को होटल में प्रवेश से रो’क नहीं सकते।
इस आंदोलन के सकारात्मक प्र’भाव वाले परिणाम ने उन्हें संस्कृति के लिए काम करते रहने की प्रेरणा दी है। इधर होटल के भी’तर की कई तस्वीरें भी ते’जी से वा’यरल हो रही हैं जिनमें गमछा लेकर वेटर खाना परोस रहे और आगंतुकों का स्वागत कर रहे। हजारों लोगों ने इसपर अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया दी है।
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