इसके बाद स्मार्ट सिटी और फिर सभी शहरों के पानी की गुणवत्ता की जां’च होगी, ताकि 2024 तक सबको स्वच्छ पेयजल मिल सके। भारतीय मानक ब्यूरो ने विभिन्न शहरों से पानी के नमूने जमा कर उनकी गुणवत्ता की जांच कर यह अध्ययन किया। इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में सभी 11 नमूने फेल हो गए, जबकि पटना, देहरादून तथा लखनऊ से लिए गए दस-दस नमूने भी फेल हो गए। रांची में दस नमूने लिए गए थे जिनमें से नौ पास हुए और एक फेल हो गया। मुंबई के सभी दस नमूने सही पाए गए। वहीं भुवनेश्वर और हैदराबाद से लिए दस में से सिर्फ एक-एफ नमूना फेल हुआ है।पटना के पानी में जिंक, आर्सेनिक, फ्लोराइड व लोहा जैसे तत्व मानक के नीचे पाए जाते हैं।
नगर निगम की जलापूर्ति शाखा हर छह महीने पर पानी की जांच कराती है। शहर की जरूरत 336 एमएलडी पानी की है लेकिन महज 236 एमएलडी की आपूर्ति होती है। बीआईएस ने देश के 21 राजधानी शहरों के पेयजल में टॉक्सिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, जीवाणु तत्व ओरगेनोलेप्टिक की मौजूदगी जैसे 19 मानकों पर जांच की।पेयजल की गुणवत्ता के भारतीय मानक 10500: 2012 का पालन अनिवार्य है। केंद्र ने इसके लिए राज्यों को पत्र लिखा है। बिहार के ग्रामीण इलाकों के 30497 वार्डों के पानी की गुणवत्ता प्र’भावित है। इन वार्डों में हर घल नल-जल निश्चय योजना के तहत ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से पानी को शुद्ध कर नल से आपूर्ति की योजना चालू है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अप्रैल, 2020 तक इन सभी वार्डों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हर घर में शुरू कर दी जाएगी।
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