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#BODHGAYA; ज्ञान और शांति की तला’श में देश-विदेश से पहुंचने लगे श्रद्धालु, देखें…

बिहार में बौद्ध धर्म (Buddhism) के पवित्र तीर्थस्थल बोधगया (Bodhgaya) में पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. पर्यटन सीजन (Tourism Season) के शुरू होते ही देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु और पर्यटक भगवान बुद्ध (Gautam Budha) की ज्ञानस्थली में नमन करने आ रहे हैं. महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) एवं आसपास के इलाकों में इस समय पर्यटकों की काफी चहल-पहल देखी जा रही है. कोई चीवर दान कर रहा है, तो कोई घंटों तक बोधिवृक्ष के नीचे शांति की तलाश में ध्यान लगाए बैठा है. यहां आने वाले पर्यटकों (Tourist) में सिर्फ देश-विदेश के ही नहीं, बल्कि राज्य के विभिन्न स्कूलों से शैक्षणिक टूर पर आने वाले छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं.

बड़ी तादाद में पर्यटकों की आमद को देखते हुए बोधगया मंदिर प्रबंधन कमेटी (Bodhgaya Temple Management Committee) और स्थानीय प्रशासन ने सैलानियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए कई इंतजाम किए हैं.बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर और भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों को देखने के लिए एशियाई देशों के विभिन्न शहरों के अलावा अमेरिका और यूरोप से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. इनमें से कई पर्यटक जहां बुद्ध की प्रतिमा को नमन कर वापस लौट रहे हैं तो कई ऐसे भी हैं जो बोधगया में कुछ दिन ठहरकर भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली की महत्ता को समझने का प्रयास कर रहे हैं. अमेरिकी टीम की एक महिला सदस्य ने न्यूज 18 से बातचीत में कहा कि वह लंबे समय से बोधगया आकर भगवान बुद्ध को देखना और समझना चाह रही थी. आखिरकार इस साल उन्हें सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि दिल्ली आने के बाद वह सीधे अपनी टीम के साथ बोधगया आई हैं.

यहां आकर उन्हें काफी शांति और आनंद की अनुभूति मिल रही है.महाराष्ट्र के नागपुर से अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ आए हेमंत साकरे ने बताया कि उनके माता-पिता काफी दिनों से बोधगया आने की जिद कर रहे थे. उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए वे पहली बार यहां आए हैं. हेमंत ने बताया कि वे और उनका परिवार बोधगया आकर काफी प्रसन्नचित हैं. उत्तराखंड के ऋषिकेश से आए योगी शिवाखंडा ने बताया कि महाबोधि मंदिर में उन्हें काफी ऊर्जा मिलती है. यही वजह है कि वे हर साल 15 दिनों के लिए बोधगया आते हैं और बोधिवृक्ष की छांव में ध्यान लगाते हैं.

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