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पटना में दर्ज केस के आधार पर रिया चक्रवर्ती को गिर’फ्तार करेगी CBI ? जानें किस धारा में क्या हैं कानूनी प्रावधान

पटना. सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) मौ’त के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी CBI की ओर से इन्वेस्टिगेशन के बारे में कोई बात नहीं बताई गई है. हालांकि अब तक इस मामले में सुशांत के करीबियों से पूछताछ कर चुकी है, लेकिन रिया चक्रवर्ती से पूछताछ नहीं हुई है. इस पर सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह (KK Singh) के वकील विकास सिंह (Vikash Singh) का कहना है कि सुशांत की मौ’त को 2 महीने से ज्यादा समय के बाद CBI ने जांच शुरू की है. ऐसे में जांच एजेंसी अपने हिसाब से रिया चक्रवर्ती (Rhea chakravarthi) को पूछताछ के लिए बुलाएगी. उसके बाद अगर उनकी तरफ से जवाब ठीक नहीं आते हैं, तो शायद गिर’फ्तार भी करे.
इस बीच राज्यसभा सांसद व बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने ट्वीट में लिखा, अगर रिया चक्रवर्ती जो भी बयान दे रही हैं, उसमें महेश भट्ट के साथ हुई उनकी बातचीत में मिलान नहीं होता है तो CBI को रिया को गिरफ्तार कर पूछताछ करनी चाहिए. जिससे सच्चाई की तह तक पहुंचा जा सके. CBI के पास सच सामने लाने के लिए इससे बेहतर कोई उपाय नहीं है.

वहीं, कानून के जानकार बताते हैं कि पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज एफआईआर में IPC की जो भी धाराएं लगाई गई हैं उसके अनुसार जांच एजेंसी को यह अधिकार है कि वह गंभीर अप’राध में वह बिना कोर्ट से वारंट प्राप्त किये भी गिर’फ्तार कर सकती है. यही नहीं अगर लगाए गए आरोपों की पुष्टि कागजी सबूतों, परिस्थतियों और गवाहों के बयान से हो जाती है तो आरोपितों को न्यायालय के द्वारा सजा दी जा सकती है.


बहरहाल आइये हम जानते हैं कि पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज FIR संख्या 241/20 में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC की किन धाराओं के तहत क्या प्रावधान किए गए हैं और रिया चक्रवर्ती व उनके साथा के पांच अन्य लोगों पर कितने गंभीर कृत्य का मुकदमा दर्ज है. इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि अगर जुर्म साबित होता है तो लगाई गई धाराओं में सजा के क्या प्रावधान हैं.
IPC की धारा 506 : कोई भी व्यक्ति किसी को उसके मान-समान को चोट पहुंचाने के लिये केस मुकदमे में फंसाने की धमकी देता है तो वैसे व्यक्ति को दो वर्ष की सजा या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है.
IPC की धारा 120 B : किसी अपराध को करने के लिये अपराध में शामिल होकर षड्यंत्र करने वाले व्यक्ति जिस तरह का अपराध करते हैं. साबित साक्ष्य के आधार पर किया जाता है तो वैसे सभी षड्यंत्रकारियों को कारित किये गये अपराध के अनुरूप ही सजा दी जायेगी.
IPC की धारा 342 : किसी भी व्यक्ति को अवैध तरीके से एक निश्चित सीमा के अंदर घेरकर रखना ताकि वह किसी भी दिशा में बाहर न निकल सके. एक वर्ष की सजा आर्थिक दंड, एक हजार, संज्ञेय, जमानतीय.
IPC की धारा 306 : कोई भी व्यक्ति आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरित करता या उकसाता है और कोई किसी व्यक्ति के उकसाने पर आत्मह’त्या कर लेता है तो उकसाने वाले व्यक्ति को 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. यह धारा संज्ञेय व गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, जो अजमानवीय है.
IPC की धारा 380 : घर में चोरी करने से संबंधित है, जिसमें सात वर्ष तक की सजा और आर्थिक दंड का भी प्रावधान है. यह संज्ञेय व गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। यह अजमानतीय धारा है.
IPC की धारा 406 : अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के पास विश्वास कर कोई संपत्ति रखता है और उस संपत्ति को वह व्यक्ति अपने उपयोग में लाता है जिसे उसे उपयोग करने का अधिकार नहीं होता है. वैसे व्यक्ति को तीन वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड या दोनों दी जा सकती है। यह संज्ञेय, अजमानवीय है.
IPC की धारा 420 : धो’खाधड़ी या बेईमानी की नीयत से किसी को कोई व्यक्ति उत्प्रेरित कर संपत्ति प्राप्त करता है और उसे अपने उपयोग में लाता है ऐसे अपराध के लिये सात वर्ष की सजा है. यह संज्ञेय और अमानवीय धारा है.

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