लिहाजा बिहार में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) पिछ’ड़ा हुआ है। इसे दु’रुस्त करने और उच्चशिक्षा के लिए सूबे से पलायन रोकने को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने वर्ष 2013 में राज्य में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना का निर्णय लिया। इसी साल के आखिर में 27 दिसम्बर को बिहार निजी विश्वविद्यालय अधिनियम अधिसूचित किया गया। इसके बाद प्राइवेट यूनिवर्सिटी खोलने के लिए लगातार प्रस्ताव शिक्षा विभाग के उच्चशिक्षा निदेशालय को मिलने लगे। विभाग ने अधिनियम के प्रा’वधानों के आलोक में समिति गठित कर प्रस्ताव भेजने वाले संस्थानों की जमीनी ह’कीकत, उद्देश्य आदि की जांच आगे बढ़ानी शुरू कर दी और अब उसके फलाफल भी दिखने लगे हैं। राज्य सरकार से स्थापना की अनुमति पाने वाले कई ऐसे निजी विश्वविद्यालय अब प्रदेश में काम कर रहे हैं, जहां से सैकड़ों की संख्या में कई संकायों में विद्यार्थी उत्तीर्ण हो चुके हैं।
उच्चशिक्षा निदेशालय में अबतक 20 निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना का प्रस्ताव आया है। इनमें से 7 को सरकार ने नियमों की कसौटी पर कसते हुए स्थापना की अनुमति पिछले दो-तीन वर्षों में दी। संचालित विश्वविद्यालयों में संदीप विवि सिजौल, मधुबनी, अमेटी विवि पटना, केके विवि बिहारशरीफ नालंदा, डॉ. सीवी रमण विविवैशाली, अलकरीम विवि कटिहार, गोपाल नारायण सिंह विवि जमुहार सासाराम एवं माता गुजरी विवि किशनगंज शामिल हैं।
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