हर मोर्चे पर कोरोना को मात देने में जुटी हैं डॉ पूनम
• फरवरी से अभी तक लगातार दे रही कोरोना योद्धा के रुप में सेवा
• दो माह से सीतामढ़ी कोविड केयर सेंटर में हैं समर्पित
सीतामढ़ी। 13 जुलाई:
महिलाएं ममता की मूर्त रुप होती हैं। वहीं उनके अदम्य साहस की भी अनेकों गाथाएं हैं। हर काल और परिस्थिति में उनकी कार्यकुशलता उनके हौंसले को दर्शाती हैं। वर्तमान समय में भी देश कोरोना के रूप में एक गंभीर समस्या से जूझ रहा है। इस विकट परिस्थिति में भी कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो हर मोर्चे पर कोरोना को मत देने में जुटी है. उन्हीं अतुलनीय महिलाओं की सूची में कोविड केयर सेंटर सीतामढ़ी में तैनात आयुष चिकित्सक डॉ पूनम कुमारी भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने मन से कोरोना के डर को निकाल पूरे समर्पण से कोविड के मरीजों को ठीक करने में जुटी हैं। यह कार्य करते हुए इनके नाम कई उपलब्धियां भी जुड़ी हैं। डॉ पूनम कहती हैं पूर्ण रुप से समर्पित होना इतना आसान नहीं था। उनके ऊपर घर और बाहर दोनों की जिम्मेवारी थी। उनका 8 साल का बेटा भी है, जो उनके बिना नहीं रहता। परिवार में भी कोई नहीं जो उसे संभाले। वह बताती हैं निजी कारणों से वह इस कोरोना संक्रमणकाल में अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती थी. इसलिए उन्होंने अपने बेटे के लिए एक दाई रखी और खुद कोविड से लोगों की सेवा में उतर गयी.
फरवरी से कर रही हैं कोविड के लिए काम:
डॉ पूनम कहती हैं कि फरवरी में देश से बाहर से आने वालों की जांच शुरु हो गयी थी। चूंकि उनका प्रखंड सुरसंड इंडो-नेपाली सीमा पर है तो उनकी ड्यूटी भी वहां लगायी गयी। वह रात के 9 बजे तक वाहनों में और सीमा पर लोगों की स्क्रीनिंग करती थी। अभी करीब दो महीने से कोविड केयर सेंटर सीतामढ़ी में वह तैनात है. खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए उनकी यहाँ तैनाती की गयी है.
संक्रमित गर्भवती और मानसिक रूप से बीमार महिला को कर चुकी हैं संक्रमण मुक्त:
डॉ. पूनम ने बताया कोविड केयर सेंटर में उनके लिए चुनौती तब बढ़ गयी जब एक गर्भवती यहां एडमिट हुई। ऐसी परिस्थितियों में उन्हें मानसिक संबल प्रदान करना सबसे आवश्यक होता है। उन्हें यह भरोसा दिलाना होता है कि उन्हें और उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को कुछ नहीं होगा। उन्होंने प्रत्येक आयाम से उनकी जांच की । सही पोषण और मेंटल थेरेपी से वह एक महीने के अंदर ही यहां से निगेटिव होकर सामान्य जीवन जी रही हैं। वहीं एक मानसिक रूप से बीमार महिला को समय पर दवा और यहां रहने के लिए समझाना बहुत कठिन काम था, पर उनके साथ तैनात टीम के सहयोग से महिला का ईलाज किया गया. महिला अब स्वस्थ होकर अपने घर भी जा चुकी है. इसके अलावा वह यहां आए मरीजों की निरंतर देखभाल भी करती है.
मरीजों से भी घुल मिल गयी हूं:
दो महीने काम करने के बाद यह सेंटर एक डॉ. पूनम के लिए एक परिवार की तरह हो गया है। वह अपना नंबर मरीजों को भी दे राखी है. वह कहती हैं कभी-कभी रात में भी कॉल कर लोग मुझसे सलाह लेते हैं. वह अपने पूरे अनुभव के साथ लोगों की सेवा कर रही है. उन्होंने बताया परिवार और बेटे तो हमेशा मेरे साथ रहेगें पर यह समय देश और देशवासियों के लिए समर्पित कर गौरवांवित महसूस करने का वक़्त है.
Leave a Reply