अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि वि’वाद में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को वि’वादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी। इस मा’मले पर फैसला सुनाने वाली 5 जजों की संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।अयोध्या मा’मले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने शनिवार को कहा कि इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि हिंदू मानते हैं कि भगवान राम वि’वादित स्थान पर पैदा हुए थे। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट में कही बात को मानते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। वि’वादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था।कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन का है।
सरकार ने अखाड़े की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक योजना के तहत स्थापित न्यायालय को चाहिए कि वह उपासकों की आस्था और विश्वास में हस्तक्षेप करने से बचे। चीफ जस्टिस ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल विशेषता है और अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। अदालत ने माना कि मीर बाकी द्वारा निर्मित मस्जिद बाबर के आदेश से बनी थी और मस्जिद के अंदर 1949 में मूर्तियों को रखा गया था। उन्होंने यह बात ख’चाखच भरे अदालत कक्ष में अयोध्या भूमि विवा’द का एकमत फैसला पढ़ते हुए कही। इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि फैसला सर्वसम्मति से लिया जाएगा।
Leave a Reply