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बिहार में 1.41 लाख स्टूडेंट्स के काटे गए नाम:BJP का सवाल, कब सही थे, पहले या अब ?

बिहार के स्कूलों से बिना बताए गैर हाजिर रहने वाले छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश के बाद से अब तक 1 लाख 41 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के नाम काटे गए हैं। पश्चिम चंपारण जिले में राज्य के सबसे अधिक छात्र और छात्राओं का नामांकन रद्द किया गया।

इसे लेकर बीजेपी ने पूछा है कि बच्चों के नाम जोड़ना है या काटना? सरकार क्या करना चाहती है। उधर, जदयू का कहना है कि बीजेपी सिर्फ नुक्स निकालना जानती है। उनका यही काम है।

अरविंद सिंह ने शिक्षा विभाग की कार्रवाई पर उठाया सवाल

अरविंद सिंह ने शिक्षा विभाग की कार्रवाई पर उठाया सवाल

बीजेपी बोली-ये बड़े घोटाले का संकेत

शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई पर भारतीय जनता पार्टी ने सवाल उठाए हैं। बीजेपी ने पूछा है कि आखिर कब सही थे, पहले या अब ? भारतीय जनता पार्टी के नेता अरविंद सिंह ने बिहार सरकार के कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि आखिर क्या सही है। नाम काटाना या जोड़ना।

उन्होंने कहा है कि सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए। यह घोटाले के संकेत हैं। अरविंद सिंह ने आगे कहा कि इसकी जांच की जाए। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

JDU ने बीजेपी पर पलटवार किया है।

JDU ने बीजेपी पर पलटवार किया है।

भाजपा पर जदयू का पलटवार

वहीं भाजपा के बयान पर जदयू ने पलटवार किया है। जदयू ने कहा है कि बीजेपी को हर काम में परेशानी है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि बीजेपी नेगेटिव पॉलिटिक्स में विश्वास रखती है। सरकार जो काम करती है, उसी में नुक्स निकालते हैं।

अभिषेक झा ने कहा कि IAS केके पाठक की वजह से जो छात्र और छात्राएं स्कूल नहीं जाते थे, वह स्कूल पहुंच रहे हैं। शिक्षक भी समय पर स्कूल जाते हैं और समय से निकलते हैं। शिक्षा विभाग में मॉनिटरिंग का काम बेहतरीन तरीके से चल रहा है। इसमें भी भारतीय जनता पार्टी को दिक्कत है।

केके पाठक ने कार्रवाई का दिया है आदेश

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