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स्मार्ट प्री पेड मीटर के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी:औसत बिजली बिल तीन गुना तक बढ़ा, अचानक कट जा रहा बैलेंस

शहर में स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के कारण गलत बिलिंग, अचानक से बैलेंस खत्म हो जाने से लेकर डिफॉरमेट चार्ज जुड़ने की समस्या हो रही है। करीब ढाई हजार बिजली उपभोक्ताओं ने इस तरह की शिकायत विभाग से की। कई उपभोक्ताओं ने तो महीने का औसत बिजली बिल पूर्व की तुलना में तीन गुना तक अधिक होने की शिकायत की है। अचानक से मीटर का बैलेंस खत्म हो जाने पर बिजली बंद भी हो जा रही है। जिसके बाद ग्राहकों को मीटर को रिचार्ज कराना पड़ रहा है।

हालांकि, स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर के कई फायदे मीटर लगने पहले ग्राहकों को बताए गए हैं। लेकिन, सारे दावे फेल साबित हो रहे हैं। सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से रिचार्ज के बाद भी शहर के तकरीबन 24 सौ लोगों को एनबीडीसीसीएल ने बकायेदार ठहरा दिया। मुजफ्फरपुर सर्किल के विद्युत अधीक्षण अभियंता पंकज राकेश का कहना है कि मामला जैसे ही संज्ञान में आया, समस्या को दूर कर दिया गया। अब कोई प्रॉब्लम नहीं है। इसके बावजूद भी किसी को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में शिकायत आती है तो संबंधित कार्यपालक अभियंता या सर्किल में आकर संपर्क करें।

उपभोक्ता बोले : डिजिटल मीटर से तेज भाग रहा स्मार्ट मीटर, बिजली खपत बढ़ी

क्लब रोड की अनीता कुमारी ने डिजिटल मीटर की तुलना में स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत की। नया टोला की आरती मिश्रा ने बताया कि पहले महीने में डेढ़ हजार रुपए तक बिल आता था। स्मार्ट मीटर लगने के बाद महज 3 दिन में 1000 रुपए की बिजली खपत हो गई। दामूचक की निशा कुमारी का 2000 रुपए रिचार्ज में फंस गया। 15 दिन में भी वापस नहीं आया है। यही शिकायत स्टेशन रोड के दुकानदार रिशू पटेल व शशि कुमार की है। शि‌वशंकर पथ के राकेश कुमार महीने का औसत बिल दो गुना तक बढ़ गया है।

एनबीपीडीसीएल का तर्क : मामला जैसे ही संज्ञान में आया, राशि को एडजस्ट कर दिया

एनबीपीडीसीएल के मुताबिक, जिन लोगों का स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा है, उनका पहले के महीने में जो बिल बना था, उस बिल बनने की अवधि और स्मार्ट प्री पेड मीटर लगने की अवधि के बीच का जो बकाया बन रहा था, वह डिफॉरमेट चार्ज के रूप में जुड़ा। 1 किलो वाट सेक्शन के बावजूद जो 2 किलो वाट का उपभोग कर रहे थे, उस बिजली खपत की राशि भी डिफॉरमेट चार्ज में जुड़ कर आया। सॉफ्टवेयर में प्रॉब्लम से यह हुआ कि डिफॉरमेट चार्ज जो लोग पहले भुगतान कर दिए थे, उनको फिर से बकाया बता दिया गया। मामला संज्ञान में आने पर राशि को एडजस्ट कर दिया गया।

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