आज चांदनी चौक में ऐसे कई और इ’मारतें है जहां छोटी-छोटी फैक्ट्री चल रही है। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच और मु’आवजे से कुछ नहीं होगा हमें मि’लकर काम करना होगा नहीं तो ऐसे हा’दसे बंद नहीं होंगे। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि हा’दसे में म’रने वाले 43 लोग यहां म’जदूरी करने के लिए आए थे। बाहर से ताला बंद था और अंदर हवा आने के लिए कुछ नहीं था। इस मा’मले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस मा’मले में सबकी जि’म्मेदारी तय होनी चाहिए चाहे उसमें एमसीडी हो, दिल्ली सरकार हो या फिर डीडीए हो। ताकि भविष्य में ऐसी घ’टनाएं ना हो। गौर’तलब है कि यह घ”टना तड़के करीब साढ़े तीन बजे की है। रिहायशी इ”लाके की एक इ’मारत में चल रही फैक्टरी में आ”ग दूसरी मं”जिल से शुरू हुई। भू”तल और पहली मंजिल के लोग तो निकल गए पर तीसरे और चौथे माले पर 65 लोग फं’से रह गए। ज’लने से चार लोगों की मौ’त हुई, जबकि बाकी सबका द’म’ घु’ट गया।
सो रहे थे श्रमिक : घ’टना के वक्त सभी लोग सो रहे थे, इसलिए उन्हें तुरंत आग का पता नहीं चला। द’मकल की 21 गाड़ियों ने करीब ढाई घंटे की मश’क्कत के बाद आ’ग को का’बू किया।कई अ’स्पतालों में भ’र्ती : फं’से हुए लोगों को नि’कालकर लेडी हा’र्डिंग, एलएनजेपी व आरएमल अ’स्पताल में भ’र्ती कराया गया। मृ’तकों में अधिकतर बिहार के रहने वाले थे। इस चार मं’जिला इमारत में प्लास्टिक उत्पाद बनते थे।अग्निशमन सेवा के कर्मचारी राजेश शुक्ला जान पर खेलते हुए धुएं के गुबार के बीच इ’मारत के भी’तर पहुंचे। एक-एक कर 11 लोगों को वह अपने कं’धे पर बाहर लेकर आए। जी’वित बचे लोगों के लिए राजेश किसी मसीहा से कम नहीं थे। इ’मारत में फंसे लोग खुद को बचा’ने की गु’हार लगाते रहे’। लेकिन कुछ ही पल बाद आ’वाजें बंद होने लगी। कुछ को ब’दह’वास हा”लत में ब’चाव दल ने निकाला। इस दौ’रान पी’ड़ित परि’जन अपनों की त’ला’श में भट’कते रहे। उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा था।
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