कैमूर वन्यप्राणी अभ्यारण को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए पहली बार ड्रोन से जंगली जानवरों को सर्वे किया जा रहा है। ड्रोन वैसे जगहों पर उड़ाया जा रहा है, जहां पर ट्रैप कैमरा नहीं लग पा रहा है या लगाने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। बारीकी से जानवरों को गिनती करने के लिए ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तरफ से बड़े स्तर पर जानवरों का सर्वे चल रहा है।
1800 वर्ग किमी में फैले जंगलों में चप्पे-चप्पे पर ट्रैप कैमरा लगाया गया है। कैमूर अभ्यारण में तेंदुआ, हिरण, भालू, चितल, घोड़परास सहित विभिन्न तरह जंगली पाए जाते हैं। किस जानवर की संख्या अधिक है, लुप्त होने की कगार पर कौन जानवर है, शाकाहारी और मांसाहारी जानवर कितने हैं, सर्वे रिपोर्ट में ये सब शामिल किया जाएगा। कैमूर डीएफओ की निगरानी में कार्य चल रहा है। जून में रिपोर्ट तैयार किया जाएगा।
जल्द होगा टाइगर रिजर्व घोषित
कैमूर वन्यप्राणी अभ्यारण को एनटीसीए टाइगर रिजर्व घोषित करने को लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा कोर जोन और बफर जोन अलग-अलग करके एनटीसीए को भेजा गया। एनटीसीए ने विभाग को कुछ निर्देश दिया गया है। विभाग उसको पूरा करने में लगा है। 900 वर्ग किमी कोर जोन और 900 वर्ग किमी बफर जोन दोनों जोन में अलग-अलग जानवरों को गिनती जारी है।
2019 में दिखा था पंजा का निशान, 2020 में बाघ को टहलते देखा गया : कैमूर वन्यप्राणी अभ्यारण में 2019 में तिलौथू क्षेत्र में पहली बार बाघ के पंजों का निशान और मल प्राप्त हुआ था, जिसकी देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की प्रयोगशाला में जांच हुई थी। वहीं 2020 में पहली बार बाघ को विचरण करते हुए कैमरा ने कैद किया था।
यूपी, एमपी और झारखंड को जोड़ने वाली 300 किमी कॉरिडोर में आने-जाने वाले जानवरों को ड्रोन में किया जाएगा कैद
कैमूर अभयारण्य से यूपी, मध्यप्रदेश और झारखंड के टाइगर रिजर्व जुड़े होने से यहां बाघों का आना-जाना लगा रहता है। इसकी वजह है कि कैमूर अभयारण्य में 100 से अधिक विभिन्न प्रजाति के छोटे-बड़े जंगली जानवर हैं। कैमूर अभयारण्य से यूपी के सोनभद्र और मिर्जापुर होते हुए मध्य प्रदेश के डुबरी टाइगर रिजर्व तक करीब 300 किमी कॉरिडोर है। दक्षिण में झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व और गढ़वा जंगल है। दूसरे राज्यों से कैमूर को जोड़ने वाले कॉरिडोर से आने-जाने वाले जंगलों जानवरों की ड्रोन से पहचान की जाएगी।

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