बिहार में वायु प्रदू’षण के हा’लात गं’भीर बने हुए हैं। राजधानी पटना की बात करें तो यहां की हवा दिल्ली से भी ज’हरीली हो गई है। यह देश के सर्वाधिक प्रदू’षित शहरों में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। बिहार में मुजफ्फरपुर और गया की हवा में भी प्रदू’षण का स्तर चिं’ताजनक हो गया है।केंद्रीय प्रदू’षण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर पटना में 414 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रि’कॉर्ड किया गया है। इस तरह पटना देश में सबसे अधिक वायु प्रदू’षण वाले कानपुर और लखनऊ के बाद तीसरा सर्वाधिक प्र’दूषित शहर बन गया है।
उधर, बिहार के मुजफ्फरपुर में पीएम 2.5 स्तर 385 माइक्रोग्राम और गया में 325 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉ’र्ड किया गया।बीते पांच दिनों की बात करें तो चार नवंबर को पटना में पीएम 2.5 का स्तर सर्वाधिक 428 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रि’कॉर्ड किया गया था। मंगलवार को पटना में पीएम 2.5 का स्तर दूसरी बार चार सौ के पार गया। मुजफ्फरपुर में पीएम 2.5 का स्तर लगातार तीन सौ के पार बना हुआ है। गया में भी यह लगातर बढ़ रहा है। मंगलवार को वहां पांच दिनों के अंदर दूसरी बार पीएम 2.5 का स्तर तीन सौ के पार गया।बिहार में प्रदूष’ण के आंकड़ों की बात करें तो सर्वाधिक 30 फीसद प्रदू’षण के लिए वाहन जिम्मेदार हैं। धूलकण से 12 फीसद तथा पुआल जलाने से सात फीसद प्रदू’षण होता है।
औद्योगिक प्रतिष्ठान भी सात फीसद प्र’दूषण फैला रहे हैं। डीजल जेनरेटर पांच फीसद तो ईंट भट्ठे चार फीसद प्रदू’षण के लिए जिम्मेदार हैं।सरकार वायु प्रदू’षण को रो’कने के लिए गं’भीर है। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई कड़े व बड़े फैसले लिए गए। राज्य में 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है। साथ ही पटना में 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहन नहीं चलेंगे। 15 साल पुराने निजी वाहनों को प्रदू’षण नि’यंत्रण का प्रमाण पत्र लेना होगा। सरकार ने पुआल जलाने पर प्रतिबं’ध लगाते हुए ऐसा करने वाले किसानों को सरकारी लाभ नहीं देने का भी फैसला किया है। ये सभी फैसले सात नवंबर से लागू हो रहे हैं।
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