सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व छठ पूजा डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिए बिना पूर्ण नहीं हो सकता है। खरना के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल षष्टी तिथि 02 नवंबर की शाम को डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि 03 नवंबर की सुबह सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस के पश्चात ही पारण करके 36 घंटे के निर्जला व्रत को पूर्ण किया जाता है। आइए जानते हैं कि षष्ठी तिथि को सूर्यास्त और सप्तमी तिथि को सूर्योदय कब होने वाला है।
02 नवंबर: दिन शनिवार- तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य। सूर्योदय: सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।
03 नवंबर: दिन रविवार- चौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन। सूर्योदय: सुबह 06:34 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।
सूर्य को अर्घ्य देते समय ओम सूर्याय नमः या फिर ओम घृणिं सूर्याय नमः, ओम घृणिं सूर्य: आदित्य:, ओम ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा मंत्र का जाप करें।
अर्घ्य देने की विधि
सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करें। इसमें दूध और गंगा जल मिश्रित करके पूजा के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य दें।
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