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यहां है मां चंद्रघंटा का प्रसिद्ध मंदिर, आप भी एक बार ज़रूर करें दर्शन

Maa Chandraghanta Temple: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) दुर्गा मां की आराधना का विशेष समय होता है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां के विभिन्न नौ स्वरुपों का ध्यान कर पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि जो भी नवरात्रि के नौ दिनों में पूरी श्रध्दा से माता का ध्यान कर विधि-विधान से पूजन करता है, माता उनके सभी कष्टों का निवारण कर देती हैं. शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) का पूजन किया जाता है. मां का ये स्वरुप शांति प्रदान करने वाला और कल्याणकारी माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भगवती ने असुरों का संहार करने के लिए इस रुप को धारण किया था.
मां का नाम चंद्रघंटा इसलिए पड़ा क्योंकि उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है. मां का स्वरुप अलौकिक है. उनका शरीर स्वर्ण के समान दमकता है. मां चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं, जिनमें
अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं. सिंह मां चंद्रघंटा की सवारी है.

प्रयागराज में है मां चंद्रघंटा का मंदिर
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन अगर मां चंद्रघंटा के मंदिर में दर्शन करने का अवसर मिले तो चूकें नहीं. मां का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है. यह मंदिर चौक में स्थित है जो कि प्रयागराज का काफी व्यस्त इलाका माना जाता है. यह मां क्षेमा माई का बेहद प्राचीन मंदिर है. कहते हैं कि पुराणों में इस मंदिर का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है. यहीं मां दुर्गा देवी चंद्रघंटा स्वरुप में विराजित हैं.

संभवत: ये एकलौता ऐसा मंदिर है जहां मां दुर्गा के सभी नौ स्वरुपों के एकसाथ दर्शन हो जाते हैं. इस मंदिर पर माता भक्तों की गहरी आस्था है. कहते हैं कि यहां के दर्शन मात्र से ही लोगों के शारीरिक और मानसिक कष्टों में कमी आ जाती है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Muzaffarpur news इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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