वैक्सीन के दोनो डोज जरूरी, मिलती है ज्यादा सुरक्षा
- डब्ल्यूएचओ ने जारी किया पोस्टर
- प्रतिरोधक क्षमता बनने मे लगता है दो से चार हफ्ते का समय
मुजफ्फरपुर, 30 जुलाई।
कोविड को हराने में टीकाकरण एक महत्वपूर्ण हथियार है। अभी पूरे बिहार में शहरी क्षेत्र को पूरी तरह से टीककृत (वैक्सीनेटेड) करने का अभियान भी चलाया जा रहा है। जिसमें से मुजफ्फरपुर जिले ने करीब 93 प्रतिशत शहरी आबादी को टीकाकृत भी किया है। शहरी क्षेत्र में चले इस अभियान में 261302 लोगों ने टीका का प्रथम डोज तथा 64193 लोगों ने टीका का दूसरा डोज लिया है। टीका लेने से लोगों में आत्मविश्वास तो आया है, पर अभी भी उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्टर जारी किया है। जिसमें वह लोगों को आगाह कर रहा है।
क्या कहता है पोस्टर
पोस्टर के माध्यम से डब्ल्यूएचओ कहता है कि हमें टीके के सभी डोज लेने चाहिए क्योंकि उसके बाद हममें उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा। अगर आपने दो डोज वैक्सीन के लिए हैं तो सेकेंड डोज के बाद इम्युनिटी बनने में दो से चार हफ्तों का वक्त लग सकता है। इस लिहाज से भी डब्ल्यूएचओ टीकों के सारे डोज लेने की सलाह देता है।
दूसरी डोज के बाद बढ़ जाती हैं टी-कोशिकाएं
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एके पांडेय ने कहा कि वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद एंटीबॉडीज के उन अंशों का भी विकास हो जाता है जो सामान्य तौर पर पहली खुराक के बाद नहीं बन पाती हैं। वैक्सीन की पहली डोज सामान्य तौर पर शरीर को मजबूत करता है। वहीं रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करता है पर दूसरे शॉट के बाद एंटीबॉडीज के स्तर में कई गुना तक वृद्धि देखने को मिली है। कई अध्ययनों में भी पाया गया कि पहली डोज के बाद दूसरे डोज में एंटीबॉडी में मौजूद टी- कोशिका का निर्माण तेजी से हुआ जो संक्रमण को फैलने से रोकता है। टी-कोशिकाओं को किलर कोशिकाओं के रूप में भी जाना जाता है जो शरीर में संक्रमित कोशिकाओं को ढूंढकर उन्हें नष्ट कर देती हैं, इससे संक्रमण पूरे शरीर में नहीं फैलने पाता है।
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