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फिर ख्वाब डुबोने आ गया सैलाब सूबे का / मुजफ्फरपुर में ये है रामवृक्ष बेनीपुरी का गांव; बाढ़ से बचने के लिए छतों पर बनाई झोपड़ी, 3 महीने यहीं कटेंगे

बिहार में मुजफ्फरपुर जिले में ​बागमती नदी की दो धाराओं के मध्य कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी का गांव बेनीपुर है। झोपड़ियों के साथ कुछ पक्के मकान भी हैं। पक्के मकान की छतों पर झोपड़ियां खड़ी हैं। बाढ़ से बचने की तैयारी के सिलसिले में लोगों ने मकान की छतों पर झोपड़ियां खड़ी कर ली हैं। करीब दो दर्जन परिवार यहां अब भी जीवन बसर कर रहे हैं।

यहीं कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी की समाधि है। जिस नदी के किनारे उन्होंने कई कालजयी रचनाएं रचीं, वही बागमती उनकी समाधि डुबोने को फिर बेताब है। सोमवार की रात से उत्तर बिहार में हो रही भारी बारिश को देखते हुए बाढ़ से लड़ने को सब सजग हो रहे हैं। अगले तीन माह तक पक्के मकान की छतों पर बनी इन्हीं झोपड़ियों में रामवृक्ष बेनीपुरी के पट्टीदार अपना जीवन बसर करेंगे।

बारिश थमने के साथ ही यहां रहने वाले पप्पू सिंह का बेटा झोपड़ी मरम्मत करने में जुट जाता है। ऐसी ही तैयारियों को देख नीरज नयन ने लिखा – पिसा लो सत्तू, कूट लो चूड़ा, बुझा दो आग चूल्हे की, फिर ख्वाब डुबोने आ रहा सैलाब सूबे का…। बेनीपुर ही नहीं, बाढ़ की दस्तक देख मुजफ्फरपुर के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित सात प्रखंड के लोग तैयारियों में जुट गए हैं। औराई, कटरा, गायघाट, बंदरा, बोचहां, मीनापुर तथा मुरौल के बाढ़ पीड़ितों को सरकारी तैयारियों पर भरोसा नहीं है।

नई धारा को पार करने के डेढ़ किलोमीटर बाद पक्के मकान
बांध के नीचे बागमती नदी की नई धारा को नाव से पार करने के बाद करीब डेढ किलोमीटर झाड़ियों को पार करने पर पप्पू सिंह का पक्का मकान दिखता है। पक्के मकान के ऊपर बनी झोपड़ियां बाढ़ के बेबसी बयां कर देती है। पप्पू सिंह का बेटा अभिषेक कहता है कि अगले तीन माह पूरा परिवार छत पर बनी झोपड़ियों में ही रहता है। अवधेश सिंह व नंद किशोर सिंह भी अपने छत पर बनी झोपड़ी की मरम्मत में जुट गए हैं।
बागमती बांध पर बनाई जा रहीं नावें, सबसे छोटी 18 हजार रु. में
बाढ़ की दस्तक के साथ ही बेनीपुर के पास बागमती के दायां तटबंध पर झोपड़ी बनाकर प्रेम सहनी तथा अशोक सहनी नाव का निर्माण कर रहे हैं। कहते हैं कि इस दौरान इलाके में नाव की मांग बढ़ जाती है। दस नाव बनाने का आर्डर मिला है। सबसे छोटी नाव 18 हजार रुपए की है। बोचहां, कटरा, मीनापुर, मुरौल, बंदरा में भी कुछ लोग नाव निर्माण में जुटे हैं।

बागमती की नई धारा नहीं आ रही काबू में, बह जा रहा कॉफर बांध
पिछले तीन साल से बागमती की मुख्य धारा को चालू करने की कवायद चल रही है। करोड़ों खर्च करने के बाद नई धारा को बंद करने को बनाया जा रहा कॉफर बांध बह जा रहा है। दस दिन पहले नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही कॉफर बांध बह गया था। इंजीनियर फिर से उसे बांधने की कोशिश में जुटे हैं। बेनीपुर के रामसुफल सिंह कहते हैं कि यह रुपए लूटने की परियोजना है, सफल नहीं होगी।

बेनीपुरी की समाधि बचाने को 11 करोड़ का प्रस्ताव अटका

पिछले साल तत्कालीन डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने बाढ़ पूर्व रामवृक्ष बेनीपुर के पुराने गांव पहुंचकर समाधि बचाने को 11 करोड़रुपए का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। पर, बागमती प्रमंडल रून्नीसैदपुर के अधिकारियों की मानें तो जल संसाधन विभाग ने अबतक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है।

कॉफर बांध

कॉफर बांध

मुजफ्फरपुर को बागमती नदी की तबाही से बचाने को बाढ़ कंट्रोल के 310 करोड़ के 9 प्रोजेक्ट
रून्नी सैदपुर बागमती प्रमंडल को रून्नी सैदपुर, औराई, कटरा व गायघाट में बागमती नदी से बाढ़ की तबाही बचाने के लिए बाढ़ कंट्रोल पर 310 करोड़ के 9 प्रोजेक्ट पर काम करने को कहा गया है। 15 जून तक फ्लड कंट्रोल के सारे काम पूरा करने का दावा किया गया है। इसके साथ ही बागमती प्रमंडल सीतामढ़ी को 4 प्रोजेक्ट के लिए 123 करोड़ तथा शिवहर प्रमंडल को 5 प्रोजेक्ट के लिए 60 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान प्रस्तावित था।

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