उसे ह’र्जा, खर्चा देगा। उसके भर’ण पोषण की जिम्मेदारी शिवम की है। अ’नुबंध के कुछ दिन बाद ही सारी कस’में टू’ट गईं। पी’ड़िता को अकेला छोड़कर शिवम ला गया। फिर क्या था। पी”ड़िता ने अपना हक मांगा तो उसने ध’मकी दी। गांव में पंचायत हुई तो शिवम के घरवालों ने पी’ड़िता पर द’बाव बनाया कि रुपये ले लो और शिवम को छोड़ दो। सूत्रों की माने तो आ’रोपित परिवार पी’ड़िता को 3 लाख रुपये हर्जा’ना देने की बात कर रहे थे। प्रधान के घरवालों का कहना था कि इन रुपयों से दूसरी शादी कर लेना। पी’ड़िता ने कहा कि वह शिवम की पत्नी बनकर नहीं रहना चाहती, बल्कि वह सिर्फ बहू होने का हक मांग रही है। शिवम के घरवाले तैयार नहीं थे। पूरे गांव में तमाम लोग द’बाव बना रहे थे। पी’ड़िता रुपये के ला’लच में नहीं आई और शिवम के साथ रहने की बात पर अ’ड़ी रही। यह बातें आ’रोपितों को नागवार गु’जरी। उन्होंने अधिक द’बाव बनाया तो पी’ड़िता ने कोर्ट का दरवाजा ख”टख”टाया। आरो’पित को जे’ल हुई तो सभी आग बबू”ला हो गए। मौका पाते ही पी’ड़िता को रास्ते से ह”टाने का प्रयास किया।गैं”गरे’प पी’ड़िता के चाचा परिवार सहित गंगाघाट कोतवाली के एक मोहल्ले में रहते हैं। शुक्रवार सुबह वह गंगाघाट चौकी पहुंचे और पुलिस को बताया कि आ’रोपितों के रिश्तेदारों ने घर पहुंचकर केस वापस लेने की ध’मकी दे रहे हैं।
कोतवाली प्रभारी ने इस बाबात आलाधिकारियों को सूचित किया। इसपर एसडीएम सदर और सीओ सिटी कोतवाली पहुंचे और पी’ड़िता के चाचा से बात की। पहले उन्होंने बताया कि शुक्रवार को आ’रोपितों के रिश्तेदार घर आए थे। दोबारा कहा, नहीं रविवार को आए थे। पुलिस ने चाचा और उनकी पत्नी से पू’छताछ कर रही है।गांव में दूसरे दिन सुबह से शाम तक पुलिस अल’र्ट रही और शांति व्यवस्था कायम है। देर शाम एसडीएम दया शंकर पाठक और एएसपी विनोद कुमार पाण्डेय से कस्बा बिहार का पैदल ग’श्त कर जनता में सुरक्षा का अहसास करवाया।
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