स्लिप डिस्क के अनेक ऐसे मरी’ज हैं, जिन्हें फि’जियोथेरेपी और दवाओं से रा’हत नहीं मिल पाती है। ऐसे मरी’जों के लिए माइ’क्रो एंडो’स्कोपिक डिस्क सर्जरी राह’त की नई किरण लेकर आई है। परंपरागत ओपन डिस्क सर्ज’री की तुलना में मा’इक्रो एंडो’स्कोपिक डिस्क स’र्जरी कहीं ज्यादा सुरक्षित एवं का’रगर है।रीढ़ की ह’ड्डियों में इंटर- वर्टिबल डिस्क स्थित होती हैं। इंटर वर्टिबल डिस्क हड्डि”यों के बीच में स्प्रिंग की तरह कार्य करती है।
जिस तरह से कार के शॉकर झ’टकों को ब’र्दाश्त करते हैं, उसी तरह वर्टिबल डि’स्क भी शरीर के लिए शॉक ए’ब्जॉर्बर का कार्य करती है। इस डिस्क के मध्य में जे’ल जैसा एक प’दार्थ पाया जाता है। इस पदार्थ को न्यूक्लियस पल्पोसस कहा जाता है और जो कार्टिलेज के टि’श्यूज और कैप से सुरक्षित होती है जिसे एनूलस फाइ’ब्रोसस कहते हैं।
- र’क्त का नु’कसान नहीं होता।
- को’ई जो’खिम या साइड-इफेक्ट नहीं होता।
- इस स’र्जरी में सं’क्रमण की आशंका नहीं होती।
- स’र्जरी की सफलता दर 92 प्रतिशत से अधिक है।
- अस्पताल में एक दिन से ज्यादा भ’र्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती।
- ओपन स’र्जरी के तुलना में इस स’र्जरी में नसों को नुक’सान नहीं पहुंचता है।
कभी-कभी इस सख्त कैप में विकार आ जाता है और इसकी संरचना बि’गड़ जाती है और ये क’मजोर हो जाती है। इस स्थिति के कारण न्यूक्लिसस पल्पोसस में स्थित अं’दरूनी जेल का रिसाव होने लगता है और यह स्थिति इंटर-वर्टिबल डिस्क के पीछे से गुजर रही नसों को दबाती है।
धीरे- धीरे यह जेल रिसने एवं फूलने लगता है। इसका आकार बड़ा होने लगता है और यह स्टोन की तरह स’ख्त हो जाता है। समय के साथ यह स्टोन रीढ़ की नसों को न’ष्ट करने लगता है। का’लांतर में यह स्थिति स्लिप डिस्क की स’मस्या पैदा करती है।
स्लिप डिस्क के लक्षण
- कंधे या कूल्हों में तेज द’र्द होना।
- टहलने में त’कलीफ मह”सूस करना।
- कमर के निच’ले भाग में तेज द’र्द होना।
- किसी वस्तु को पक’ड़ने में क’ठिनाई महसूस करना।
- हाथों या पैरों में सु’न्नपन या भा’रीपन म’हसूस होना।’
- पैर में तेज द’र्द होना जिसे सायटिका का द’र्द कहते हैं।
- कभी-कभी पैरों में तेज बिजली जैसी संवेदना मह’सूस होती है।
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