बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने पुल बनाने का जिम्मा हैदराबाद की एजेंसी बशिष्ठा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। इसी साल इस पुल की संशोधित तकनीकी लागत 286 करोड़ की मंजूरी दी गई। अब पुल का निर्माण पूरा हो चुका है। फुटपाथ सहित पुल की चौड़ाई 12 मीटर है। पुल में 25 पिलरों का उपयोग किया गया है। नदी में 1440 मीटर तो एप्रोच रोड सहित इसकी लंबाई 9060 मीटर है।पुल के बनने से मोतिहारी व गोपालगंज आना-जाना आसान होगा। केसरिया में बने बुद्ध स्तूप के पास आना-जाना अब आसान होगा। संत कबीर दास के बेटे कमल दास की जन्मस्थली गोपालगंज में है। यह पुल कमल दास की जन्मस्थली तक आने-जाने में सहायक होगा।
स्टेट हाईवे 73-74 के अलावा नेशनल हाईवे 28 और 90 तक आने-जाने में सहायक साबित होगा। इससे मोतिहारी से छपरा होते हुए पटना आने में दो घंटे अब कम लगेंगे। जबकि गोपलगंज के लोगों को मुजफ्फरपुर आने में अब मात्र डेढ़ घंटे लगेंगे। चंपारण में रहने वाले एक घंटे में सीवान आ सकेंगे। पुल की महत्ता को इससे भी समझा जा सकता है कि आयोध्या से जनकपुर को जोड़ने के लिए एनएच-227ए राम जानकी पथ बनाने की घोषणा की गई है। इसी एनएच में सत्तरघाट पुल भी है।
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