अगर आप सोते समय ख’र्राटे लेते हैं तो इसका कारण हृदय रो’ग (Heat D’isease) हो सकता है। वाहन चलाते (Driving) या किसी से बात करते हुए झ’पकी आती है, जब भी सा’वधान हो जाएं। यह भी बी’मारियों का सं’केत हो सकता है। लेकिन राह’त की बात यह है कि अब पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में इसकी जांच हो सकती है। अगले सप्ताह तक इसकी जांच मशीन वहां काम करने लगेगी।हंगरी में हुए एक अध्ययन में पता चला हैै कि तेज़ ख’र्राटे लेेेेने वालों में हार्ट अ’टैक का खत’रा समान्य लोगों की तुलना में एक तिहाई से अधिक होता है।
शो’ध के अनुसार जो लोग धीरे-धीरे खर्रा’टे लेते हैं, उनमें हार्ट अ’टैक के ख’तरे में कोई वृद्दि नहीं होती है।आइजीआइएमएस के चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि मा’टापे के कारण या पारासोम्निया नामक बीमारी में ख’र्राटे आते हैं। शरीर में मिलाटोनिन नामक रसायन की कमी के कारण भी ऐसी समस्या उत्पन्न होती है। सर्वाधिक खत’रनाक तो वाहन चलाते व’क्त झपकी आना है। अब इन सम’स्याओं का निदान मशीन से जांच के बाद संभव हो सकेगा।
डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि इन सम’स्याओं की जां’च के लिए आइजीआइएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग में पॉलीसोमनोग्राफी मशीन मंगाई गई है। बिहार के किसी सरकारी अ’स्पताल में यह ऐसी पहली म’शीन है। अ’स्पताल इस जां’च का क्या शुल्क लेगा, यह अभी तय नहीं किया गया है। हालांकि, शुल्क कम ही रखा जाएगा।जां’च के लिए म’रीज काे रात में अ’स्पताल में ही रुकना हाेगा.
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