बिहार के दूसरे सबसे बड़ अ’स्पताल एनएमसीएच (NMCH) में पिछले तीन दिनों से म’रीजों का भगवान ही मालिक है क्योंकि जिंदगी बचाने वाले डॉक्टर फिर से ह’ड़ताल (Doctor Str’ike) पर चले गए हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था बेप’टरी हो गई है. शिशु वार्ड में एक 12 वर्षीय बच्चे की मौ’त के बाद परिजनों की पिटाई से आ’क्रोशित जूनियर डॉक्टरों ने बिना देर किए अ’निश्चितकालीन ह’ड़ताल कर दी और म’रीजों को अपने हाल पर छो’ड़ दिया.आ’लम यह है कि इ’मरजेंसी वार्ड से लेकर गायनी और शिशु सभी वार्ड में द’र्द से ‘क’राह रहे म’रीजों का हाल जानने वाला भी कोई नहीं है.
अस्पताल ने हाला’त को सामान्य करने के लिए सभी सीनियर डॉक्टरों की तै’नाती जरूर कर दी है लेकिन महज 12 प्रतिशत म’रीजों का ही सीनियर डॉक्टर इ’लाज कर पा रहे हैं और बाकि म’रीज की हालत बिग’ड़ती जा रही है. सबसे ज्यादा मुसी’बत में ऐसे म’रीज हैं जिनका ऑ’परेशन तो हो गया लेकिन ड्रेसिंग करनेवाला कोई नहीं है ऐसे में बीमा’री कम होने के वजाय बढती ही जा रही है.जिनके पास थोड़े भी पैसे हैं वो जिं’दगी को दाव पर लगाना नहीं चाह रहे और सीधे यहां से पलायन कर रहे हैं अब तक 300 से ज्यादा म’रीज अस्पताल से पलायन कर चुके हैं तो बाकि म’रीज इला’ज के इंतजार में हैं. पटना सिटी की बॉबी देवी ,नालंदा के शंकर दास समेत कई ऐसे परिजन हैं जो इलाज की गुहार लगा रहे हैं लेकिन सीनियर डॉक्टर का दर्शन भी होना मु’श्किल लग रहा है.
बताते चलें कि जूनियर डॉक्टरों ने ह’ड़ताल ख’त्म करने को लेकर 6 सूत्री मांग सामने रखा है जिसमें आ’रोपी परिजनों की गिर’फ्तारी,अ’स्पताल के सीसीटीवी को दुरूस्त करना,डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया करना,अस्पताल के सिक्यूरिटी कंपनी को बदलने और शिशु वॉर्ड के एचओडी को ह’टाने की मांग की है.ह’ड़ताल पर जाने के बाद लगातार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और अस्पताल प्रशासन डॉक्टरों को मनाने का प्रयास कर रही है लेकिन मांगें पूरी नहीं होने तक जूनियर डॉक्टरों ने कार्य ठ’प रखने का फैसला लिया है. ह’ड़ताल पर गौर करें तो राज्य में 9 मेडिकल कॉलेज हैं जहां इस साल अबतक 5 बार एक साथ जूनियर डॉक्टर एकेडमिक और सु’रक्षा की मांग को लेकर ह’ड़ताल पर जा चुके हैं. सबसे ज्यादा रि’कॉर्ड तोड़ ह’ड़ताल पीएमसीएच ने किया है जो कि 7 बार ह’ड़ताल कर चुके हैं जबकि 6 बार एनएमसीएच, 5 बार भागलपुर जेएलएनएमसीएच, 4 बार एएनएमसीएच समेत बाकि मेडिकल कॉलेजों के जू’नियर डॉक्टर भी जरा -जरा सी बात पर ह’ड़ताल पर गए थे.
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