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#BIHAR; इस जिले में गुमनामी की हालात में मिले थे महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण, जानें…

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह गुमनामी की अवस्था में सारण जिले के डोरीगंज में वर्ष 1993 में मिले थे। वे एक होटल पर काम कर रहे थे, तभी उनके गांव के एक व्यक्ति ने उन्हें पहचान लिया। फिर यह पता चला कि जो व्यक्ति होटल पर काम कर रहा है, वह महान गणितज्ञ वशिष्ठ बाबू ही हैं। जिस समय वशिष्ठ बाबू मिले थे, उस समय उनके शरीर पर सही से वस्त्र भी नहीं थे। परिचित ने उनके घरवालों को इसकी सूचना दी। घरवाले नाव से ही आरा से डोरीगंज पहुंचे और तुरंत ही अपने लाल को पहचान लिया। उस समय घर वालों ने काफी कुछ कुरेदा तो पुरानी बातों में वशिष्ठ बाबू खो गए।

घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं था। परिजनों ने तुरंत नया वस्त्र पहनाया और अपने घर ले गए. रिविलगंज से भी वशिष्ठ बाबू का गहरा जुड़ाव था। वशिष्ठ बाबू जब डोरीगंज में मिले तो उनकी मानसिक स्थिति खराब थी। परिजनों को किसी ने बताया कि रिविलगंज के गौतम स्थान स्टेशन के समीप स्थित औघर बाबा के पास जाने पर मानसिक रूप से बीमा’र व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।

इसके बाद परिजन उन्हें औघड़ बाबा के मठिया पर लाए। जटाधारी औघर बाबा ने उनका इ’लाज शुरू किया। बाबा का आशीर्वाद मिलने के बाद परिजन उन्हें फिर घर लेकर चले गए। औघर बाबा के मठिया पर महान गणितज्ञ के आने की खबर मिली तो देखने के लिए लोग उमड़ पड़े।

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