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#AYODHYA; राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से बनेगा भव्य राम मंदिर, विराजेंगे 6 फीट की ऊंचाई पर रामलला, जानें…

अयोध्‍या में राम जन्‍म भूमि पर नागर शैली में राजस्‍थान के पत्‍थरों से अब भव्‍य राम मं‍दिर का निर्माण होगा। सवा लाख पत्‍थरों की घडाई हो चुकी है। करीब इतने ही पत्‍थरों की ओर जरूरत होगी, 2022 तक मं‍दिर बनकर तैयार हो सकता है। यह कहना है राम मं‍दिर के शिल्‍पकार चंद्रकांत सोमपुरा का।सोमनाथ से अयोध्‍या तक निकली रथयात्रा से पहले ही विश्‍व हिंदू परिषद के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष व राम मं‍दिर आंदोलन के अगुवा अशोक सिंघल ने सोमपुरा को दिल्‍ली बुलाकर राममं‍दिर के निर्माण की योजना शुरू करने का काम सौंप दिया था। सोमपुरा के मुताबिक, भरतपुर, राजस्‍थान के बंसी डूंगरपुर गुलाबी पत्‍थरों से ही राम मं‍दिर बनेगा, इसमें करीब ढाई लाख घनफीट पत्थर लगाने होंगे। बीते तीन दशक से अयोध्‍या, राजस्‍थान सहित कई जगहों पर राममं‍दिर के लिए सामग्री निर्माण का कार्य चल रहा है। सवा लाख पत्‍थरों की घडाई का काम हो भी चुका है।मंदिर के इिजाइन के अनुसार, सवा लाख पत्‍थरों की और जरूरत होगी।

पत्‍थरों को एबीसीडी व 1,2,3 के हिसाब से नंबर दिए गए हैं, जिन्‍हें नंबर के आधार पर लगाना ही है। राममं‍दिर अब विवा‍दित रामजन्‍म भूमि पर ही बनेगा। यह तय हो चुका है, इसलिए सोमपुरा का मानना है कि मं‍दिर निर्माण ढाई से तीन साल में पूरा हो सकता है।


पत्‍थरों को एबीसीडी व 1,2,3 के हिसाब से नंबर दिए गए हैं, जिन्‍हें नंबर के आधार पर लगाना ही है। राममं‍दिर अब विवा‍दित रामजन्‍म भूमि पर ही बनेगा। यह तय हो चुका है, इसलिए सोमपुरा का मानना है कि मं‍दिर निर्माण ढाई से तीन साल में पूरा हो सकता है। आशीष सोमपुरा के मुताहित, भगवान विष्‍णु के अवतार भगवान राम का मंदिर विष्‍णु के पसंदीदा अष्‍टकोणीय आकार में बनेगा। नागर शैली में भरतपुर के गुलाबी ढाई लाख पत्‍थरों से दो मंजिला मंदिर बनेगा। इसमें करीब 251 स्‍तंभ होंगे, जिन पर विविध आकृतियां उकेरी गई होंगी।

240 फीट लंबे, 145 फीट चौड़े व 141 फीट ऊंचे राममं‍दिर के पहले तल में बालस्‍वरूप में करीब छह फीट की ऊंचाई के रामलला विराजमान होंगे। दूसरे तल में राम दरबार होगा, जिसमें भगवान राम, लक्ष्‍मण, सीता व हनुमान की प्रतिमाएं होंगी। मंदिर पूर्वाभिमुख होगा, लेकिन इसमें प्रवेश के लिए चारों ओर से द्वार होंगे। मं‍दिर का गर्भगृह रघुपुरम अलग होगा तथा कथा कुंज का निर्माण अलग होगा।76 साल के चंद्रकांत सोमपुरा मूल रूप से गुजरात के पालीताणा से हैं। उनका परिवार कई पीढ़ियों से मं‍दिर निर्माण कार्य करता आ रहा है। वे खुद अब तक हिंदू, जैन व स्‍वामी नारायण संप्रदाय के एक सौ से अधिक मं‍दिर बना चुके हैं।

इनमें गांधीनगर का स्‍वामी नारायण मंदिर, पालनपुर अंबा माता मंदिर व कई बिडला मंदिर प्रमुख हैं। सोमपुरा पूरी जाति मंदिर निर्माण के काम से जुड़ी है, जो गुजरात, राजस्‍थान व महाराष्‍ट्र में है।राम मं‍दिर के शिल्‍पी चंद्रकांत सोमपुरा के पिता प्रभाशंकर भाई सोमपुरा गुजरात के सोमनाथ मंदिर के शिल्‍पकार थे। गुजरात के प्रभास पाटण अब गीर सोमनाथ जिले में इसका निर्माण करीब डेढ़ करोड़ में हो गया था। आजादी के बाद 1947 से 1952 में यह बन गया था। सोमनाथ ट्रस्‍ट इसका मुख्‍य कर्ताधर्ता है। दिल्‍ली व मुंबई के राम मं‍दिर, मथुरा का कृष्ण जन्‍मस्‍थान तथा गोरखपुर का राधा कृष्ण साधना केंद्र, नागदा मध्‍य प्रदेश का विष्‍णु मंदिर का निर्माण भी सोमपुरा परिवार ने ही किया है। सोमपुरा ने अब तक सबसे महंगा मं‍दिर पालनपुर में अंबा माता का बनवाया, जिसमें दस करोड़ रुपये की लागत लगी लेकिन राममंदिर अब तक के सभी मं‍दिरों से भव्‍य, दिव्‍य व लागत में भी अधिक होगा।

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