गणेश चतुर्थी कल है। गणपति उत्सव को लेकर देशभर में तैयारियां चल रही हैं। पटना में एक ऐसे डॉक्टर हैं, जिनके पास एक इंच से लेकर 7 फीट की मूर्तियां खास बात यह है कि एक भी मूर्ति एक जैसी नहीं है। यहां मिल जाएंगी। इसमें सोना-चांदी से लेकर दुर्लभ पत्थरों पर तराशी हुई मूर्तियां शामिल हैं।
डॉ. आशुतोष त्रिवेदी के के चैंबर में घुसते ही हर तफ गणपति नजर आते हैं। यहां 1800 गजानंद की मूर्तियां हैं, जबकि घर पर 300 हैं।
डॉ. आशुतोष त्रिवेदी के पास अमेरिका और फ्रांस में बनी मूर्तियों के साथ चावल और 7 प्रकार के अन्न से बनी मूर्तियां भी मिल जाएंगी। ट्रेनिंग के दौरान 20 साल IGYS मुंबई के सिद्धी विनायक मंदिर से शुरू हुआ मूर्तियों के कलेक्शन सफर आज भी जारी है। अब तो मरीज भी खुश होकर डॉक्टर को गणपति की मूर्तियां गिफ्ट करते हैं। पढ़िए पटना के डेंटल सर्जन डॉ. आशुतोष त्रिवेदी की एक दंत वाले गणेश के प्रति दीवानगी की पूरी कहानी..

गजानन गणपति के बड़े दीवाने हैं डॉ. आशुतोष त्रिवेदी
डॉ. आशुतोष त्रिवेदी पटना के काफी चर्चित डेंटल सर्जन हैं। वह पटना के बोरिंग केनाल रोड पर स्थित ओरो डेंटल सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक चलाते हैं। डॉ. आशुतोष बताते हैं कि लगभग 20 साल पहले वह ट्रेनिंग के लिए मुंबई गए थे। एक दिन वह सिद्धी विनायक के दर्शन करने गए।
एक दंत वाली गणेश की मूर्ति को देख दंत चिकित्सक के अंदर ऐसी दीवानगी जागी कि वह गणेश की भक्ति में लीन हो गए। डॉ. आशुतोष दीवानगी का कारण बताते हैं, मैं गणेश को समझा।
गजानन के हर अंग से सफलता का संदेश मिलता है। यही कारण है कि सिद्धी विनायक मंदिर से ही ठान लिया, अब गणेश की मूर्तियों का कलेक्शन कर इतिहास बनाएंगे।


नारियल को तराशकर गणेश जी की मूर्ति बनाई।
जुनून बन गया मूर्तियों का कलेक्शन
डॉ. आशुतोष बताते हैं कि गणपति का मेरा रिश्ता काफी पुराना है। सबसे पहले मुझे मेरे एक मित्र ने गणेश की मूर्ति गिफ्ट की थी। मुझे यह मूर्ति काफी सुकून देती थी। मैंने उस मूर्ति को अपने पास रख लिया। इसके बाद मैं जहां भी गणेश की मूर्ति देखता था, खरीद लेता था। यहीं से गणेश की मूर्तियों के कलेक्शन का दौर शुरू हो गया। एक समय ऐसा आया जब मूर्तियों का कलेक्शन एक जुनून बन गया।
अब ताे जहां भी कोई गणेश की मूर्ति दिखती है, जो मेरे कलेक्शन की मूर्तियों से डिफरेंट होती है। किसी भी कीमत पर मिले, खरीद लेता हूं। मेरे कलेक्शन की सबसे खास बात यह है कि कोई भी मूर्ति आपस में नहीं मिलती है। सब की सब मूर्तियां एक दूसरे से भिन्न हैं।

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