मुंगेर में जिला मुख्यालय स्थित निगम प्रशासन के सहयोग से शहर का चर्चित कष्टहरणी घाट स्थित गंगा माता की मंदिर जो पिछले 22 सालों से मिट्टी के गाद से भर जाने से बंद पड़ा था। उसे खुदाई कर साफ किया जा रहा है। साफ-सफाई के बाद 30 मई को इस जगह पर बड़े तरीके से गंगा दशहरा के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस मौके पर गंगा आरती के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कष्टहरणी घाट स्थित गंगा माता मंदिर के प्रधान पुजारी एकलव्य मिश्रा ने बताया कि निगम प्रशासन के सहयोग के चलते गंगा मइया मंदिर से गाद और मिट्टी को हटाया जा रहा है।
22 सालों से मंदिर में नहीं हो पा रही है पुजा
पुजारी ने बताया कि पिछले 22 सालों से मंदिर में पूजा-अर्चना बंद था। अब मंदिर से गाद और मिट्टी को हटा दिया गया है। 30 मई से जिलावासीयों के लिए फिर से गंगा मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी। 30 मई को प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों मंदिर का उद्घाटन कर पूजा-अर्चना का शुभारंभ के साथ महाआरती का भी शाम में कार्यक्रम रखा गया है। मंदिर की साफ- सफाई के लिए से गुरुवार से निगम प्रशासन ने लगभग 25 मजदूरों को लगाकर मंदिर के अंदर से गाद निकाला जाएगा।

भगवान राम वनवास जाने के क्रम में किए थे पूजा
गंगा मंदिर काफी पुराना है। स्थानीय समाजसेवी कृष्ण मोहन कुमार और साफ-सफाई से जुड़े सहयोगी संजय कुमार मंडल और शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि भगवान रामचंद्र जब अपने वनवास काल में जब मुंगेर आए थे। वे इस कष्टरणी गंगा घाट पर गंगा स्नान करने के बाद राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन और माता संयुक्त रुप से गंगा मइया की इसी मंदिर में पूजा-अर्चना किए थे। इस कारण यह मंदिर काफी चर्चित है। अब जबकि 30 मई से गंगा मंदिर में पूजा-पाठ फिर से शुरू हाे जाएगा। जिला-वासियों के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गंगा मां की पूजा-पाठ करना आसान हो जाएगा।
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