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रवींद्र नाथ टैगोर की जयंती आज:पटना के रवींद्र भवन में 20 मई तक चलेगा कार्यक्रम, देश के कई कलाकार होंगे शामिल

पटना के रविन्द्र भवन में रविन्द्र नाथ टैगोर की 162 वीं जयंती समारोह का मंगलवार से आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 20 मई तक आयोजित होगी।सभी कार्यक्रमों की शुरुआत शाम 6:30 होगी। कार्यक्रम में देश भर से कलाकार शामिल होंगे और प्रस्तुति देंगे।

कार्यक्रम में रवींद्रनाथ की कृतियों पर आधारित नृत्य, नाटक, गीत और कविता पाठ या कहानियां शामिल हैं। 7 मई 1861 में रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म जोड़ाशाको ठाकुरबाड़ी में हुआ था और प्रत्येक वर्ष उनके इस जन्मदिन को पच्चीसे वैशाख के नाम से मनाया जाता है। इस साल रवींद्र नाथ टैगोर की जयंती 9 मई को मनाई जाएगी।

कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है

9 मई- कवि प्रणाम और लेखकों द्वारा रवींद्र नाथ की जीवनी पर परिचर्चा।

10 मई- लोकल आर्टिस्ट द्वारा रविन्द्र संगीत और रविंद्र नृत्य।

12 मई- अविकल्पना कालाविक्षम द्वारा गीती नाट्य वाल्मिकी प्रतिभा का आयोजन।

13 मई- पार्थसारथी एकलव्य, कोलकाता द्वारा रविंद्र संगीत।

14 मई -राजेंद्र नंदिनी, कोलकाता द्वारा डांस ड्रामा की प्रस्तुति।

18 -मई रविंद्र परिषद के सदस्य द्वारा गांधारी अबेदन (श्रुति नाटक) का आयोजन और गीता भवन के शिक्षक और विद्यार्थी द्वारा डांस ड्रामा प्रेमर अभिषेक का आयोजन किया जाएगा।

19 मई- मिसेज जयती चक्रवर्ती, कोलकाता द्वारा रविंद्र संगीत का आयोजन।

20 मई- डांस ड्रामा (चंडालिका और गीता अलेख्या) कोलकाता द्वारा आयोजन किया जाएगा।

इस आयोजन में सबसे अधिक 19 मई का कार्यक्रम मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा। इसमें कोलकाता से जयंती चक्रवर्ती द्वारा रविंद्र संगीत का प्रस्तुति दिया जाएगा। कोरोना की वजह से पिछले 2 सालों से इसका आयोजन नहीं हो पा रहा था। लेकिन इस साल इसका आयोजन इसे बड़े स्तर पर किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में पूरे बिहार के लोग जाकर आनंद उठा सकते हैं। इसमें प्रवेश निशुल्क है।

रबीन्द्रनाथ ठाकुर बचपन से ही कविताओं और कथाओं के प्रति रुझान रखते थे। इन्होंने आठ वर्ष की उम्र में ही कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। इसके बाद इन्होंने अनेक कविताएं लिखीं, जिनमें से सबसे प्रथम प्रकाशित कविता ‘अग्रहायण’ थी जो 1874 में प्रकाशित की गई थी। इनके द्वारा 50 से अधिक कविताएं भी लिखी गईं, इनमें प्रसिद्ध कविता ‘गीतांजली’ भी थी। रबीन्द्रनाथ द्वारा कई अनेक उपन्यास भी लिखे गए थे, जिनमें सर्व प्रथम ‘उपन्यास वाल्मीकि’ प्रतिभा था। साहित्य के अलावा रबीन्द्रनाथ संगीत में भी विशेष रुचि रखते थे। यही कारण था कि इन्होंने विभिन्न संगीत नाटक लिखे थे।

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