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अलर्ट…स्टेशन पर फिर लापरवाही, कोरोना अब भी एक्टिव, न मास्क की फिक्र, न सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह

कोरोना के नए वैरिएंट ने भारत सरकार की नींद उड़ा दी है, लेकिन बिहार में वायरस का कोई खौफ नहीं दिख रहा है। हर कदम पर कोरोना की गाइडलाइन टूट रही है। मास्क और सोशल डिस्टेंस का नियम तो सरकार से लेकर जनता तक भूल गई है। कोरोना की सख्ती में थोड़ी ढील क्या मिली हर कोई आजाद हो गया। लापरवाही ऐसी कि सरकारी से लेकर प्राइवेट आयोजनों में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का नियम गायब है।

एक तरफ सरकार जहां हाल में विदेश यात्रा कर बिहार आए लगभग 281 लोगों की तलाश कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ ट्रेनों से नियम तोड़कर लोग भी खतरा लेकर आ रहे हैं। पटना में दिल्ली, मुम्बई और अन्य प्रदेशों से आने वाली गाड़ियों से काफी भीड़ आ रही है। भीड़ ट्रेनों में हाल ही में हुए बदलाव के बाद बढ़ी है। मास्क और सोशल डिस्टेंस के साथ रेलवे स्टेशन पर भी जांच फेल है। पाटलिपुत्रा, पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर और दानापुर में आने वाली गाड़ियों में जबरदस्त भीड़ हो रही है।

पाटलिपुत्रा स्टेशन पर भीड़ बता रही कोरोना का खतरा

पाटलिपुत्रा स्टेशन पर ट्रेन कोरोना का खतरा लेकर आती है। यहां फुटओवर ब्रिज तक जाम हो जाता है। लखनऊ से आने वाली पाटलिपुत्रा सुपरफास्ट के समय तो प्लेटफॉर्म पर भीड़ से चलना मुश्किल हो जाता है। ट्रेन से आने और जाने वालों की भीड़ एक साथ होती है, जिससे पूरा प्लेटफॉर्म जाम हो जाता है। यहां स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच की व्यवस्था की है, लेकिन वह भी कागजों में ही चल रही है। प्लेटफॉर्म पर इतनी भीड़ के बाद भी कोरोना जांच कराने वालों की संख्या 50 के पार नहीं जाती है।

पाटलिपुत्र स्टेशन पर लगी भीड़।

पाटलिपुत्र स्टेशन पर लगी भीड़।

जानिए, नए स्ट्रेन का खतरा

दक्षिण अफ्रीका में मिले मल्टीपल म्यूटेशन वाले कोरोना वैरिएंट को लेकर दुनियाभर में दहशत है। दक्षिण अफ्रीका में पिछले एक हफ्ते में इस वैरिएंट की वजह से कोरोना के 210% नए मरीज बढ़ गए हैं। दक्षिण अफ्रीका समेत जिन देशों में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां से आने वाली फ्लाइट्स और यात्रियों को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। भारत ने भी दक्षिण अफ्रीका, इजराइल, हॉन्गकॉन्ग और बोत्सवाना से आने वाले यात्रियों को लेकर निर्देश जारी किए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मल्टीपल म्यूटेशन वाला कोविड स्ट्रेन भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिले डेल्टा वैरिएंट से भी कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

वैक्सीनेशन का हथियार भी कमजोर

  • अब तक 7,98,57,843 का वैक्सीनेशन
  • 5,40,25,506 लोगों ने लगवाई पहली डोज
  • महज 2,58,32,337 लोगों को लग पाई दूसरी डोज

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