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बिहार के हैं हम..लेकिन हमको बिहारी मत कहना:यह लिखने वाले ने कहा-खुद को दिल्ली का बताता था, फिर सोचा ऐसा क्यों?

देखो हम र को ड़ बोलेंगे पर तुम इसे हमरी लाचारी मत कहना, बिहार के हैं हम, लेकिन हमको बिहारी मत कहना, क्योंकि समाज में ऐसा फैला है बदहाली, बिहारी होना हो गया है गाली। इन दिनों सोशल मीडिया पर ये कविता खूब ट्रेंड हो रही। इसे बिहार के नालंदा जिला निवासी साहिल ने लिखी है। साहिल दिल्ली में रहते हैं। खुद को कभी बिहारी बताने से हिचकने वाले साहिल इन दिनों बिहार पर ही लिखी अपनी कविता को लेकर ट्रेंड हो रहे। 

हम र को ड़ बोलेंगे कविता लिखने का ख्याल कब और कहां से आया ?

एक बार कॉलेज में मेरे सीनियर ने मुझसे पूछा कि तुम कहां से हो। मैंने कहा कि दिल्ली से हूं। फिर उन्होंने थोड़ा जजमेंटल लुक देकर पूछा कि दिल्ली में तो सभी रहने आते हैं, ऐसे कहां से हो। तो मैंने कहा कि मां-पापा बिहार से हैं और मैं दिल्ली से हूं।

लेकिन जब मैंने ये लाइन उनको कही उस दिन से मैंने सोचना शुरू कर दिया कि मैंने ऐसा क्यों बोला और मेरे जैसे कितने लोग होंगे जो इस तरह की बातें बोलते होंगे। इसी सवाल का जवाब ढूंढते-ढूंढते मैंने लिखना शुरू कर दिया। इस दौरान सबसे पहले मेरा ध्यान ‘र’ को ‘ड़’ बोलने पर गया। क्योंकि कई लोग समझते है कि हम बिहारियों को बोलना नहीं आता। लेकिन ऐसा नहीं है। ‘र’ को ‘ड़’ बोलना हमारे सवैग में है।

साहिल ने कहा कि 'र' को 'ड़' बोलना हमारे सवैग में है।

साहिल ने कहा कि ‘र’ को ‘ड़’ बोलना हमारे सवैग में है।

आप पहले अपने आप को बिहारी बताने से क्यों डरते थे

मैं पहले दिल्ली के उन लोगों में शामिल था जो खुद को लोगों के जज करने के नजरिए से बचता रहता था। मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से हूं तो वहां पर मुझे थोड़ा क्लास हैरारकी देखने को मिला।

मिडिल क्लास फैमिली से आने के कारण मुझे लगा कि लोग मुझे जज करेंगे। इसलिए मैंने उन्हें अपने बारे में नहीं बताया। लेकिन जैसे-जैसे मैंने पढ़ाई की, मुझे समझ आ गया कि जब तक आप खुद अपनी वास्तविकता को स्वीकार नहीं करेंगे कोई दूसरा नहीं करने वाला।

जब लोगों को पता चला कि आप बिहार से हैं तो उनके व्यवहार में क्या अंतर आया

जब मैंने लोगों को खुल के बताना शुरू किया कि मैं बिहार से हूं और नालंदा की धरती से आता हूं। तो लोग और वैल्कम तरीके से मुझसे मिलने लगे। लोग मेरे साथ जुड़ने लगे और अपने बारे में भी बताने लगे। इस दौरान मैंने एक बात जान ली कि ताली एक हाथ से नहीं बजती। जैसे आप स्वयं को स्वीकार करेंगे वैसे लोग भी आपको स्वीकार करेंगे।

आपके पसंदीदा कवि

मैं अदम गौंडवी से काफी प्रभावित हूं।

मैं पहले दिल्ली के उन लोगों में शामिल था जो खुद को लोगों के जज करने के नजरिए से बचता रहता था- साहिल।

मैं पहले दिल्ली के उन लोगों में शामिल था जो खुद को लोगों के जज करने के नजरिए से बचता रहता था- साहिल।

क्या आपने कभी सोचा था कि आपकी ये कविता इतनी वायरल हो जाएगी

जवाब- सोचा तो नहीं था। हालांकि इस कविता के वायरल होने के बाद कई यूपीएससी के तैयारी कर रहे लोग, कई आईएएस-आईपीएस और बॉलीवुड के कई दिग्गज कलाकार तक के मैसेज कॉल आ गए।

उन्होंने इसकी सराहना की। लेकिन अच्छा तो तब लगा जब मेरे जैसे कई युवा ने कहा कि मैं भी पहले यहीं बोलता था। अब से मैं ऐसा नहीं बोलूंगा। मुझे ये जान कर अच्छा लग रहा कि मैंने थोड़ा बहुत ही सही, लेकिन लोगों के मन पर अपनी एक छाप छोड़ी।

आपकी वायरल कविता देखने के बाद मां-पापा का क्या रिएक्शन था

मां-पापा ने देखते ही बोला कि तू ये सब कर क्या रहा। लेकिन थोड़ा समय लगा और वह मेरे काम को समझ गए। दरअसल, पापा चाहते थे कि मैं IAS बनूं।

साहिल आप अपने बारे में बताइए

मेरा नाम साहिल है। मै बिहार के नालंदा जिले के एक छोटा सा गांव यारपुर से आता हूं। लेकिन मेरा जन्म दिल्ली में हुआ। मेरी पढ़ाई लिखाई भी दिल्ली से हुई है। लेकिन मैं दिल से बिहारी हूं और मैं अब लोगों को यही कहता। मैंने ये कविता 2018 में अपने कॉलेज के दिनों में लिखी थी। मुझे सामाजिक मुद्दों पर लिखना बहुत पसंद है।

इस कविता में एक शाब्दिक गलती हैं जो मुझे वीडियो वायरल होने के बाद ध्यान आया कि मैंने अर्यभट्ट व्यभिचारी लिखा जो कि अर्यभट्ट अभिचारी था। इसलिए मैंने लोगों से अपील की कि मेरे कंटेंट पर ध्यान दे शाब्दिक गलती पर नहीं। लेकिन हां, मैं ये स्वीकार करता हूं कि मेरे से शाब्दिक गलती हुई। मैं अंत में एक ही बात कहूंगा कि हम सब भारतीय हैं।

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