बिहार के राजनीतिक गलियारे में एक बड़ा उलटफेर होने वाला है। चिराग पासवान की पार्टी अपने पुराने गठबंधन को बाय-बाय करने वाली है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अब नए राजनीतिक समीकरण बनाने जा रही है। अब यह बात पुख्ता हो गई है कि चिराग पासवान की पार्टी राज्य के अंदर नया गठबंधन बनाने की तैयारी में है। पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड के सभी सदस्यों ने भी शनिवार को इस अपनी हामी भर दी है।
दरअसल, बिहार विधान परिषद के लिए 24 सीटों पर MLC का चुनाव होना है। इस चुनावी मैदान में लोजपा (रामविलास) भी अपने उम्मीदवार उतारने वाली है। मगर, इस चुनाव में चिराग की पार्टी अकेले नहीं लड़ेगी। वो किसी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन करने के बाद ही अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। इस बात पर पार्टी के अंदर आम सहमति बन गई है।
बस इस फैसले पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान की मुहर लगनी बाकी है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि लोजपा (रामविलास) का गठबंधन किसके साथ होगा। वैसे इशारा तो राजद और महागठबंधन की ओर ही है। लेकिन, इस रहस्य से पर्दा खुद चिराग हटाने वाले हैं। वही बताएंगे कि वो किसके साथ अपनी पार्टी का गठबंधन करने जा रहे हैं।
पटना में पार्टी की बैठक में जुटे कई नेता।
लंबे वक्त से NDA के साथ गठबंधन में है लोजपा (रामविलास)
2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने अपनी पार्टी लोजपा को भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन NDA में शामिल किया था। उस वक्त से लोकसभा और बिहार में विधान सभा का चुनाव इसी गठबंधन के तहत लड़ा गया था। मगर, NDA में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी JDU की वापसी से चिराग पासवान की पार्टी और भाजपा के बीच दूरी बन गई। JDU को ज्यादा तरजीह मिलने लगी।
2020 के विधान सभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने JDU के उम्मीदवारों के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था। इस चुनाव में चिराग की पार्टी को कोई सीट तो नहीं आई, पर नीतीश कुमार की पार्टी को काफी डैमेज कर दिया। कुशेश्वर स्थान और तारापुर उप चुनाव में भी चिराग की पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।
लगातार मिल रही हार बनी वजह
पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की मौत के बाद पार्टी और इनके दो भागों में बंट गए। एक गुट चिराग पासवान का बन गया तो दूसरा इनके सांसद चाचा पशुपति कुमार का। दो सीटों के उप चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने चिराग गुट को लोजपा (रामविलास) के रूप में मान्यता दे दी।
नए नाम और सिंबल के साथ पार्टी ने कुशेश्वर स्थान और तारापुर का उप चुनाव लड़ा था। दोनों ही सीटों पर करारी हार मिली। इससे पहले पिछले साल के विधान सभा चुनाव में भी चिराग की पार्टी बुरी तरह से हार गई।
पार्टी के प्रवक्ता कृष्ण सिंह कल्लू के अनुसार शनिवार को पटना में श्रीकृष्णा पुरी स्थित पार्टी ऑफिस में प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी और पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडेय की अगुवाई में मीटिंग हुई। पार्टी के सभी बड़े नेता, पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष और सभी सदस्य और विधान सभा चुनाव में उम्मीदवार रहे सभी लोग जुटे थे। इस मीटिंग में लगातार मिल रही हार पर रिव्यू किया गया। घंटों के रिव्यू के बाद 24 सीटों का MLC चुनाव नए गठबंधन के साथ लड़ने का फैसला लिया गया है।
नीतीश कुमार के खिलाफ और खुलकर लड़ेंगे चिराग
चिराग की पार्टी का नया गठबंधन अगर JDU के विरोधी दलों से हो जाता है तो आने वाले दिनों में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है। इससे नीतीश कुमार के खिलाफ विरोधी दलों की चल रही राजनैतिक लड़ाई और मजबूत हो जाएगी। राजद से तेजस्वी यादव और इधर से चिराग पासवान, अगर एक मंच पर एक साथ आ गए तो आने वाले चुनावों में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए ये बड़ी परेशानी पैदा कर सकते हैं। आने वाले चंद दिनों में पूरी तरह से यह साफ हो जाएगा कि चिराग किस दल के साथ गठबंधन करने वाले हैं।
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