गाजियाबाद. ऑक्सीजन की उम्मीद में विनोद नगर, दिल्ली में रहने वाले युद्धवीर अपने पिता सुरजन सिंह को बाइक से लेकर दिल्ली और यूपी के अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे. ऑक्सीजन लगातार कम होती जा रही थी, पिता बेहोश होकर गिर न जाएं, इसलिए उन्हें कमर से बांध रखा था. लेकिन उनकी यह कवायद बेकार हुई, पिता को कहीं भी आक्सीजन नहीं मिली, अंत में वैशाली सेक्टर एक गाजियाबाद में सड़क पर दम तो’ड़ दिया. उनकी डेडबॉडी दो घंटे तक सड़क पर पड़ी रही, किसी ने भी मदद नहीं की.
युद्धवीर के पिता सुरजन सिंह को 14 अप्रैल से बुखार आ रहा था. घर पर इलाज चल रहा था. रात में ऑक्सीजन लेबल नीचे चला गया. वे अपने साले हरेन्द्र के साथ पिता को लेकर लालबहादुर अस्पताल खिचड़ीपुर गए, वहां पर डॉक्टरों ने कोविड अस्पताल ले जाने को कहा. वे गुरुतेग बहादुर अस्पताल ले गए. वहां पर डॉक्टरों ने कोरोना की जांच की रिपोर्ट निगेटिव बताकर वापस घर भेज दिया. उनका ऑक्सीजन लेकर लगातार गिरता जा रहा था.
अगले दिन सुबह वे पिता को लेकर कौशांबी के एक नामी अस्पताल पहुंचे. वहां पर थोड़ा इंतजार कराने के बाद बेड न होने की बात कही गई. इसके बाद वैशाली सेक्टर तीन के एक अस्पताल गए, वहां पर बेड नहीं होने की बात कहकर वापस कर दिया गया. फिर सेक्टर एक वैशाली के एक नामी अस्पताल गए. युद्धवीर ने बताया कि वहां पर पिता को ऑक्सीजन दी गई, इससे कुछ उम्मीद जगी, लेकिन बाद में बेड न होने की बात कहकर और कहीं ले जाने को कहा गया. इस पूरी कवायद में पूरा दिन निकल गया.
युद्धवीर पिता को बाइक से बैठाकर और किसी अस्पताल में बेड की तलाश में निकले. लेकिन अस्पताल से कुछ मीटर दूर उन्होंने सड़क पर दम तोड़ दिया. युद्धवीर डेडबॉडी लिए सड़क किनारे करीब दो घंटे बैठे रहे, पर किसी ने उनकी मदद नहीं की. बाद में स्थानीय पार्षद मनोज गोयल को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने एंबुलेंस बुलाकर डेडबॉडी को दिल्ली भिजवाया.
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